छग के पत्रकारों को रिहा कराने आंध्र की शाखा ने खोला मोर्चा

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नेशन अलर्ट/9770656789

रायपुर.

इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन की आंध्र प्रदेश शाखा (APUWJ) के प्रतिनिधिमंडल ने छत्तीसगढ़ के निर्दोष पत्रकारों को रिहा कराने मोर्चा खोल दिया है. मंगलवार को आंध्र प्रदेश सरकार की गृह मंत्री श्रीमती वी. अनिता से इस संदर्भ में मुलाकात भी की.

राज्य सचिवालय, अमरावती में उनके कक्ष में मुलाकात के दौरान यूनियन ने छत्तीसगढ़ के छह पत्रकारों के खिलाफ आंध्र प्रदेश के एएसआर जिले के चिंतूर पुलिस स्टेशन में दायर झूठे मामले को वापस लेने की मांग करते हुए एक ज्ञापन सौंपा है.

यूनियन के नेताओं ने गृह मंत्री को छत्तीसगढ़ के कोंटा थाने में हुए घटनाक्रम के बारे में बताया. यूनियन नेताओं ने मंत्री को आगे बताया कि छत्तीसगढ़ के कोंटा पुलिस थाने के प्रभारी इंस्पेक्टर और चिंतूर एपी के सर्कल इंस्पेक्टर ने आंध्र प्रदेश के चिंतूर पुलिस स्टेशन में पत्रकारों के खिलाफ झूठा गांजा मामला दर्ज करने के लिए मिलीभगत की है.

इस मामले में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कोंटा थाने के तत्कालीन प्रभारी अधिकारी सब इंस्पेक्टर को साक्ष्य नष्ट करने के आरोप में निलंबित कर उनके खिलाफ़ प्रकरण दर्ज करके गिरफ़्तार कर विभागीय जाँच भी की जा रही है.

गृह मंत्री ने यूनियन के केंद्रीय नेताओं की बात ध्यान से सुनी और तुरंत जिला एसपी से बात की. गृह मंत्री ने जिला पुलिस अधिकारी को मामले की दोबारा जांच कर जल्द रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया.

संघ ने गृह मंत्री से श्री वाई.एस. रेड्डी के कार्यकाल के दौरान 2019-24 के बीच राज्य में मीडियाकर्मियों के खिलाफ दर्ज सभी झूठे मामलों को वापस लेने का भी अनुरोध किया है.

गृहमंत्री श्रीमती अनिता ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी. मामले को देखने और आवश्यक कार्रवाई करने का उन्होंने वादा किया.

प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कॉमरेड आईवी सुब्बाराव अध्यक्ष एपीयूडब्लूजे कर रहे थे. प्रतिनिधिमंडल में कॉमरेड शिव येचुरी, अध्यक्ष, ए.पी.इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जर्नलिस्ट एसोसिएशन, कृष्ण मोहन, यूनियन स्टेट ईसी सदस्य, सत्यनारायण, राम कृष्ण, प्रसन्न कुमार, विजय, सुरेंद्र, सचिवालय बीट के पत्रकार शामिल थे.

इस घटना की शुरुआत से स्टेट वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष पीसी रथ, महासचिव विरेंद्र कुमार शर्मा तथा सचिव सुधीर तम्बोली आज़ाद आंध्र प्रदेश की यूनियन पदाधिकारियों के संपर्क में थे. बस्तर के पत्रकारों पर लगाए गए झूठे आरोपों तथा प्रकरणों पर न्याय संगत निर्णय के लिए प्रयास कर रहे थे.

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