हाथरस का असर : प्रदीप की कथा को नहीं मिली अनुमति

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मुंगेली. इसी महीने उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए हादसे के बाद से सभी जगहों के जिला प्रशासन के अधिकारी कथा आदि के कार्यक्रम के लिए अनुमति देने के पूर्व हर तरह की सतर्कता बरतने लगे हैं. शायद इसी के चलते कथावाचक प्रदीप मिश्रा के कार्यक्रम को यहाँ अनुमति नहीं मिल पाई है.

पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा के आयोजकों ने शिव महापुराण आयोजित करने की अनुमति प्रशासन से माँगी थी. जिला प्रशासन ने आयोजन से जनजीवन को संकट की आशंका बताते हुए कथा की अनुमति आवेदन को अस्वीकार कर दिया है.

2 से 8 तक होनी थी कथा. . .

पंडित प्रदीप मिश्रा के द्वारा लोरमी में कथा का आयोजन किया जाना था. इसके लिए 2 से 8 अगस्त तक की तिथि निर्धारित की गई थी.

जिला प्रशासन से लोरमी युवा मंडल ने कार्यक्रम की अनुमति माँगी थी. प्रशासन को आवेदन मंडल की ओर से 24 जुलाई को दिया गया था.

इसके अगले ही दिन 25 जुलाई को प्रशासन ने आयोजन की अनुमति देने से इंकार कर दिया. कारण विभिन्न विभागों से मिले अभिमत को बताया गया.

दरअसल, प्रशासन ने पीडब्ल्यूडी, छत्तीसगढ़ स्टेट पाॅवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड, डीएसपी लोरमी, बीएमओ लोरमी, पीएचई लोरमी को पत्र लिखा था.पत्र में सभी विभागों से अभिमत मांगा गया था.

सभी विभागों ने कार्यक्रम स्थल को कथा के लिए उचित नहीं माना था. उनकी ओर से गंभीर आपत्ति जताई गई थी. यह कथा ढोलगी रोड वार्ड नंबर 14 में प्रस्तावित थी.

किसे क्या आपत्ति थी ?

पीडब्ल्यूडी ने कार्यक्रम स्थल में डोम लगाने पर डोम गिरने की आशंका जताई थी. ड्रेनेज सिस्टम ना होने से कीचड़ और भगदड़ की स्थिति होने की आशंका जताई गई थी.

बिजली वितरण कंपनी ने बारिश के दौरान ख़रीफ़ फसलों का रोपण किए जाने की ओर ध्यान आकृष्ट किया था. इसके साथ ही उसने आँधी बारिश, आकाशीय बिजली की गिरने की आशंका जताई थी.

लोरमी पुलिस ने पीडब्ल्यूडी और बिजली कंपनी के अभिमत का उल्लेख किया था. उसने लिखा है कि दोनों प्रमुख तकनीकी विभाग की सहमति के अभाव में सुरक्षा व्यवस्था के दृष्टिकोण से आयोजकों को अनुमति देना उचित नहीं है.

स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि जिले में मलेरिया, डायरिया का ख़तरा रहता है. 30 से 40 हज़ार श्रद्धालु रात के समय पंडाल में ही रुकेंगे. बरसात में नम मिट्टी के उपर कारपेट में सोने से स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है.

इसी तरह लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचई) ने पानी से संबंधित विभिन्न रोग डायरिया कालरा की आशंका जताई थी. जलजनित बीमारियों से जनहानि की आशंका जताते हुए पीएचई ने कथा कराने अनुमति नहीं देने का अनुरोध किया था.

अब बची नगर पालिका. . . पालिका परिषद लोरमी ने भी अनुमति देने से इंकार कर दिया. परिषद ने कहा कि नहाने, शौच आदि हेतु नगर पालिका क्षेत्र में पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. इससे श्रद्धालुओं को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

उल्लेखनीय है कि हाथरस (यूपी) में एक सत्संग में मची भगदड़ से 121 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद से ही लगातार सवाल उठ रहे हैं कि ऐसे हादसों के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है?

वर्ष 2013 में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ डिजास्टर रिस्क रिडक्शन में प्रकाशित “धार्मिक उत्सवों के दौरान लोगों की भगदड़” नामक एक स्टडी के अनुसार, भारत में होने वाली 79 फीसद भगदड़ सभाओं और तीर्थयात्राओं के कारण होती हैं.

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