दो दशक में 22000 किसान चल बसे

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नागपुर। महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके में दो दशक के दौरान 22000 किसानों ने आत्महत्या की है। यह आंकड़ा वर्धा, बुलढाणा, वाशिम, यवतमाल, अकोला और अमरावती जिलों का है। इन किसानों की आत्महत्याओं को रोकने की जगह सरकार का सारा जोर मुआवजे के लिए गिने जाने वाले कारणों में इन्हें विभक्त करने में रहता है।

उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र सरकार उन किसानों की आत्महत्या पर 1 लाख रूपए का मुआवजा देती है जिन्होंने कृषिगत कारणों से अपनी जिंदगी समाप्त की है। आत्महत्या कृषि संकट अथवा किसी अन्य कारण से हुई है या नहीं यह जानने जिला स्तरीय समिति जांच करती है। इस जांच के दौरान मरने वाले किसान का परिवार कई मर्तबा मरता है।

42 मामले खारिज

अमरावती जिले में इस साल मई तक 143 किसानों के आत्महत्या के प्रकरण दर्ज किए गए। इनमें से महज 33 को ही कृषि संकट का मामला राज्य सरकार ने माना। 10 मामले पूरी तरह से खारिज कर दिए गए। 100 अन्य मामलों में अभी तक जांच चल रही है।

यही हाल यवतमाल जिले का रहा है। यहां पर इस साल मई तक किसानों की आत्महत्या के 132 प्रकरण दर्ज किए गए थे। इनमें से जिला प्रशासन ने 32 प्रकरणों को खारिज कर दिया जबकि 66 मामले में अभी तक जांच जारी है। मतलब साफ है कि कृषि संकट से जुड़े 34 प्रकरण ही अधिकारिक कारण वाले बताए गए।

वसंतराव नाइक शेतकरी स्वावलंबन मिशन के पूर्व अध्यक्ष किशोर तिवारी के शब्दों में अमरावती की स्थिति विशेष तौर पर कठिन है। सोयाबीन की खेती और उपज में वह भारी भरकम गिरावट देखते हैं। तिवारी कहते हैं कि गत वर्ष की तुलना में सोयाबीन की कीमत गिरकर महज 4000 रू. प्रति क्विंटल रह गई थी।

उनके अनुसार पर्याप्त बैंकिंग ऋण की कमी के कारण कई मर्तबा किसानों को अपनी आर्थिक जरूरत पूरी करने छोटी वित्तीय कंपनियों या साहूकारों पर निर्भर रहना पड़ता है। ऐसी स्थिति में उन्हें कठोर वसूली का भी सामना करना पड़ता है। थक हार कर किसान आत्महत्या को ही विकल्प के तौर पर चुन लेता है।

अमरावती में 370 किसानों ने वर्ष 2021 में आत्महत्या की थी। 2022 में यह आंकड़ा 349 का रहा। अगले वर्ष 2023 में 323 किसान आत्महत्या कर चुके थे। इसके उलट पड़ोसी जिले यवतमाल में 2021 में 290 किसानों ने आत्महत्या की थी। 2022 में यह आंकड़ा 291 और 2023 में 302 रहा था।

इन दोनों जिलों में किसानों की आत्महत्या के मामले में कोई बहुत ज्यादा अंतर नहीं दिखाई दिया है। इस साल पहले स्थान पर अमरावती जिला है जहां साल के शुरूआती 5 महीनों में 152 किसान आत्महत्या कर चुके थे। मई 2024 तक 132 आत्महत्या के प्रकरण के साथ यवतमाल जिला आता है। जून के आंकड़े अभी संकलित हो रहे हैं तो यह आंकड़ा बदल सकता है लेकिन क्या किसानों की आत्महत्या की राजधानी भी बदल रही है ?

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