राजोद : देशभक्ति की भावना वाला गाँव

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राजोद.

देशभक्ति की भावना से भरे इस गाँव में ज्यादातर घर ऐसे हैं जहाँ से कोई न कोई सेना अथवा अर्धसैनिक बलों में या तो सेवारत है अथवा सेवा कर चुका है. वैसे राजोद को जाट बहुल गाँव माना जाता है.

सेना में कप्तान पद से सेवानिवृत्त हो चुके सज्जन सिंह बताते हैं कि गाँव में एकता की भावना सेना की सेवा से ही आई है. सभी मिल जुलकर रहते हैं. ऐसे ही विचार भवानी सिंह के भी रहे.

भवानी कहते हैं कि राजोद गाँव में भले ही कोई उल्लेखनीय चीज देखने के नाम पर नहीं हो लेकिन गाँव की एकता देखते बनती है. हाँ, गाँव में स्थित माँ चामुँडा और रघुनाथ जी के मँदिर दर्शन करने, देखने लायक जरूर हैं.

कहाँ पड़ता है राजोद . . ?

राजस्थान राज्य के नागौर जिले में एक तहसील का नाम जायल है. यह जिला मुख्यालय नागौर से 50 किलोमीटर की दूरी पर पूर्व की ओर स्थित है.

जायल से 9 किलोमीटर की दूरी पर राजोद गाँव स्थित है. अजमेर सँभाग का यह गाँव राज्य की राजधानी जयपुर से 196 किलोमीटर दूर है. राजोद गाँव में जाट, मेघवालों के बाद बहुतायत सँख्या में राजपूत परिवार बसते हैं.

ज्ञात हो कि तकरीबन पूरी की पूरी जायल तहसील ही अपने मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है. जायल तहसील के ही तवरा गाँव में कई मंदिर स्थित हैं.

वहाँ पर वीर तेजाजी, बिग्गाजी, रामदेव जी, हरिराम जी, शिवजी, हनुमान जी, कृष्ण जी आदि के सुप्रसिद्ध मंदिर हैं. शिक्षा के क्षेत्र में भी अँचल जागरूक है.

राजोद से तकरीबन 15 किमी की दूरी पर गाँव कठौती है जो पुराने मंदिरों व मस्जिद के लिए प्रसिद्ध है. यहाँ अकबरकालीन मस्जिद के अलावा माता लिकाषन का मंदिर है. राजोद से ही थोडी़ दूर पर छापरा गाँव में हरिराम बाबा का प्रसिद्ध मंदिर है. छापरा में ही एक प्रसिद्ध क्रिकेट मैदान भी है.

दरअसल, राजोद ग्राम पंचायत नागौर जिला परिषद के जायल पंचायत समिति में एक ग्रामीण स्थानीय निकाय है. राजोद ग्राम पंचायत के अधिकार क्षेत्र में कुल 4 गाँव हैं. पँचायत मुख्यालय राजोद के अलावा धनाणी, धतियाड़, बोडिंदकलाँ जैसे गाँवों की स्थानीय भाषा मारवाडी़ है.

पुरानी जनगणना के मुताबिक राजोद की कुल आबादी 3505 है. घरों की संख्या 587 है. महिला आबादी 49.4 फीसद है. गाँव की साक्षरता दर 51.2 प्रतिशत है जबकि महिला साक्षरता दर 18.5 फीसद है.

कैप्टन सज्जन सिंह चौहान जिस राजोद के निवासी हैं उसका पिन कोड 341023 है. डाक मुख्यालय जायल है. कैप्टन साहेब को माँ करणी का वरदहस्त प्राप्त है. कैप्टन सज्जन की धर्मपत्नी श्रीमती भँवरकँवर बाईसा को माँ माजीसा का पधारा होता है. यह धाम तकरीबन एक दशक पुराना है.

प्रत्येक माह की दूज, सातम, नवमीं और तेरस को माँ माजीसा के साथ साथ माँ करणी की भी जोत होती है. अवतरण दिवस पर सुबह माजीसा और करणी माँ की नियमित पूजा अर्चना होती है. फिलहाल चैत्र नवरात्रि पर्व धाम पर धूमधाम से मनाया जा रहा है.

जगतमामा का गाँव है राजोद . . .

जगतमामा के नाम से जाने जानेवाले पूर्णाराम चौधरी इसी गाँव के निवासी थे. उन्होंने अपनी तीन सौ बीघा जमीन स्कूल और गौशाला को दान में दे दी. साथ ही साथ चार करोड़ रूपए भी दान कर दिए.

2022 की 20 जनवरी को दुनियाँ छोड़ गए जगतमामा भले ही निरक्षर रहे हों लेकिन उन्होंने ताउम्र बढ़ने लिखने वाले बच्चों को बढा़ने में कोई कसर नहीं छोडी़.

वह चाकलेट, बिस्कुट सहित शैक्षणिक सामग्रियों के साथ कभी भी शालाओं में बच्चों की मदद के पहुँच जाते थे. बच्चे उन्हें प्रेम और सम्मान में मामा कहकर पुकारते थे.

बहरहाल, ग्राम पँचायत स्तर पर मिली जानकारी के मुताबिक इस गाँव की स्थापना वर्ष 1577 के आसपास की बताई जाती है. गाँव राजा सागर सिंह के समय बसा था. अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के मतदाता यहाँ अधिक पाए जाते हैं क्यूं कि एससी – एसटी परिवारों की सँख्या अधिक है.