छत्तीसगढ़ : कैसी है उद्योगों की माली हालत ?
नेशन अलर्ट/9770656789
रायपुर.
छत्तीसगढ़ के उद्योगों की माली हालत कैसी है यह यदि आपको जानना हो तो विधानसभा की कार्रवाई पर गौर करिए. नेता प्रतिपक्ष को उनके एक प्रश्न के जवाब में उद्योग मँत्री ने बताया कि बीते एक साल के भीतर पाँच उद्योगों में तालाबँदी हो गई. यह स्थिति विचारणीय है.
दरअसल, विधानसभा का बजट सत्र इन दिनों चल रहा है. सत्ता पक्ष जहाँ प्रदेश को खुशहाल बता रहा है तो वहीं विपक्ष “जर्जर स्थिति” पर आवाज़ बुलँद करने की कोशिश में लगा हुआ है.
पाँच साल में 27 में तालाबँदी . . .
डॉ. चरणदास महँत काँग्रेस के वरिष्ठ विधायक हैं. पिछली बार वह विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका में थे तो इस मर्तबा प्रदेश उन्हें नेता प्रतिपक्ष का दायित्व निभाते हुए देखा रहा है.
नेता विपक्ष महँत ने छत्तीसगढ़ की औद्योगिक नीति पर सवाल उठाया है. बँद हो रहे कारखानों की बात उठाते हुए वह श्रम करने वाले मजदूरों की फिक्र करते हैं.
वह सरकार से मुआवजा भुगतान के सँदर्भ में तीखे सवाल करते हुए नज़र आते हैं. सौभाग्य देखिए कि वह जिस कोरबा सँसदीय क्षेत्र से आते हैं उसी से प्रदेश के उद्योग मँत्री लखनलाल देवाँगन भी आते हैं.
किसे हराकर मँत्री बनाए गए हैं देवाँगन ?

दरअसल, छत्तीसगढ़ का औद्योगिक शहर है कोरबा. यहाँ से 3 बार के विधायक काँग्रेस के जयसिंह अग्रवाल हुआ करते थे.
जयसिंह तीखा लेकिन सच्ची बात बोलने वाले नेता माने जाते हैं. पिछली काँग्रेसी सरकार में राजस्व मँत्री रहे जयसिंह को हराने के लिए भाजपा ने इस बार लखनलाल देवाँगन को मैदान में उतारा था.
अँततः भाजपा का उद्देश्य तब पूरा हुआ जब लखन के हाथों जय को 25 हजार 629 मतों से हार झेलनी पडी़. भाजपा सरकार में उन्हें मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने उद्योग मँत्रालय की जिम्मेवारी सौंपी है.
बहरहाल, बात राज्य के उद्योगों की माली हालत की . . . नेता प्रतिपक्ष डॉ. महँत ने सवाल किया था कि जनवरी 2024 से जनवरी 2025 तक कितने उत्पादन केंद्र बँद हुए हैं ?
उद्योग मँत्री देवाँगन ने बताया कि इस अवधि में पाँच उद्योग बँद कर दिए गए. ये वो उद्योग हैं जिन्हें सरकार की योजना अनुरूप अनुदान दिया गया था.
तालाबँदी के पीछे जानकारी देते हुए वे बताते हैं कि वित्तीय कारणों की वजह से ये उद्योग बँद हुए हैं. बीते पाँच साल के दौरान 27 उद्योग बँद हुए हैं.
इस पर डॉ. महँत ने कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम पर पँडरिया में शक्कर कारखाना शुरू हुआ था. 28 फरवरी को इसे बंद कर दिया गया, क्योंकि गन्ने का भुगतान नहीं किया गया. भोरमदेव और बालोद का शक्कर कारखाना भी बँद कर दिया गया है.
उन्होंने काँग्रेस सरकार द्वारा बनाए गए रिवॉल्विंग फँड को भी याद किया और कराया. महँत ने कहा कि इसी फँड से भुगतान होता रहा है. यदि कारखाने इस तरह से बँद होते रहे, तो कैसी औद्योगिक नीति बना रहे हैं.
महँत यहीं पर नहीं रुके. उन्होंने कारखाना अधिनियम का भी उल्लेख किया. महँत के मुताबिक उद्योग बँद होने पर कारखाना अधिनियम में मुआवजा देने का प्रावधान है. उन्होंने जानना चाहा कि क्या मजदूरों को मुआवजे का भुगतान किया गया है ?
अपने जवाब में राज्य के उद्योग मँत्री ने कहा कि श्रम अधिनियम के अनुसार मजदूरों के भुगतान की प्रक्रिया पूरी की जाएगी. देवाँगन के अनुसार जो नियम में होगा वैसा किया जाएगा.