ईडी से जुडे़ सवाल पर बग्गा जी क्यूं हुए नाराज़ ?

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नेशन अलर्ट/97706 56789

रायपुर.

आमगाँव (राजनांदगाँव) की दो सौ एकड़ जमीन का मामला अब गँभीर हुए जा रहा है. यह जमीन कथित तौर पर उन कवासी लखमा के परिवार से जुडी़ बताई जा रही है जोकि इन दिनों प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की गिरफ्त में हैं.

राजनांदगाँव से तकरीबन 50 किलोमीटर दूर छुरिया स्थित है. इसी छुरिया विकास खँड़ अँतर्गत आमगाँव नामक ग्राम पड़ता है. यह गाँव छुरिया – कल्लू बँजारी मार्ग पर ब्लाक मुख्यालय से लगभग छह किलोमीटर की दूरी पर है.

कहाँ गए 72 करोड़ . . ?

आमगाँव और मोहगाँव के बीच यह विवादित जमीन पड़ती है. इसे लगभग दौ सौ एकड़ में फैला बताया जाता है. यही दो सौ एकड़ तब सुर्खियाँ बनें जब पूर्व आबकारी मँत्री कवासी लखमा को प्रवर्तन निदेशालय ने पूछताछ के लिए तलब किया था.

बाद में राज्य के भीतर हुए कथित शराब घोटाले में शामिल होने के आरोप में पूर्व मँत्री लखमा ईडी द्वारा गिरफ्तार कर लिए गए. एक ओर जहाँ लखमा अपने आप को निर्दोष बताते हैं वहीं दूसरी ओर ईडी उन 2161 करोड़ रूपए का हिसाब किताब करने में लगी हुई है जोकि कथित शराब घोटाले के दौरान लीकर स्कैम सिंडीकेट ने अर्जित किए थे.

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ईडी का आरोप है कि पूर्व आबकारी मँत्री ने इस घोटाले से लगभग 72 करोड़ कमाए थे. यह राशि कहाँ कहाँ कैसे उपयोग में लाई गई इसकी अभी स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है.

हालाँकि ईडी ने जो कोर्ट में बताया है उसके मुताबिक उन्हीं 72 करोड़ रुपए में से लखमा ने अपने पुत्र के लिए मकान और पार्टी कार्यालय का निर्माण करवाया था. शेष रकम से क्या कुछ किया गया यह अभी उजागर होना बाकी है.

लेकिन राजधानी और सँस्कारधानी से लेकर छुरिया क्षेत्र तक में एक चर्चा हर किसी की जुबान पर है. वह यह कि उन्हीं 72 करोड़ रुपए में से कुछेक करोड़ रुपए खर्च कर लखमा के सुपुत्र हरीश लखमा ने आमगाँव की उक्त जमीन खरीदी थी.

इसमें बग्गा, गोलछा, शर्मा जैसे उपनाम वाले व्यक्तियों की मदद उन्होंने की थी, मदद उन्होंने ली थी. बाद में यह जमीन किसी कँपनी के नाम पँजीकृत हो गई. अब इसी जमीन को लेकर कवासी व हरीश लखमा परेशानी का सामना कर रहे हैं.

नौकरशाही की जानकारी रखने वाले सूत्र बताते हैं कि अपने स्तर पर जाँच एजेंसी इस जमीन काला चिट्ठा निकालने में लगी हुई हैं. हालाँकि बुधवार को कलेक्टर राजनांदगाँव ने इस सँबँध में किसी भी तरह का पत्र व्यवहार अपने से किए जाने से इनकार किया था.

गुरूवार को इसी विषय पर कँपनी से जुडे़ बग्गा जी से “नेशन अलर्ट” ने बात करने का प्रयास किया था. सवाल सुनते ही बग्गा जी ने जिस तरह का बर्ताव किया वह न केवल चौंकाने वाला था बल्कि कहीं न कहीं इस ओर इशारा भी था कि “पूरी की पूरी दाल ही काली है.”

“आप होते कौन हैं पूछने वाले . . . सामने आइए बैठ कर बात करते हैं.”

  • राजभारती बग्गा

राजनांदगाँव