आमगाँव मौन : लखमा या बग्गा में जमीन किसकी ?

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रायपुर.

राजनांदगाँव का आमगाँव क्षेत्र इन दिनों रहस्यमय मौन साधे हुए है. यह वही गाँव है जहाँ खरीदी गई तकरीबन दो सौ एकड़ जमीन किसकी है अथवा किसके पैसे से यह खरीदी हुई है इस पर पँचायत से लेकर जिला स्तर तक के अधिकारी – कर्मचारी और जनप्रतिनिधि तक मुँह सिले हुए हैं.

दरअसल, यह मामला तब चर्चा में आया था जब इस जमीन को हैदराबाद की किसी कँपनी के सँचालक से राजनांदगाँव के किन्हीं बग्गा, गोलछा, शर्मा नामक उपनाम वाले व्यक्तियों ने खरीदा था. यह वह समय था जब राज्य में काँग्रेस की सरकार हुआ करती थी.

बात आई और गई हो जाती यदि कवासी लखमा, हरीश लखमा इन दिनों कथित शराब घोटाले का सामना नहीं कर रहे होते. प्रदेश में 2161 करोड़ रूपए का शराब घोटाला होने का दावा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) करते रहा है.

कथित घोटाले में शामिल होने के आरोप को लेकर ईडी ने पूर्व आबकारी मँत्री कवासी लखमा को अपनी गिरफ्त में लेकर रखा है. वह कल को सुकमा जिला पँचायत अध्यक्ष हरीश लखमा को भी गिरफ्तार कर सकती है जोकि कवासी के सुपुत्र हैं.

कैसा उभरा आमगाँव का नाम . . ?

राष्ट्रीय राजमार्ग 6 पर नागपुर से रायपुर की ओर आते समय राजनांदगाँव, छत्तीसगढ़ का पहला जिला है. काफी अरसे से यह नक्सल प्रभावित रहा लेकिन अब हालात तेजी से सुधर रहे हैं.

इसी राजमार्ग पर पड़ने वाले चिचोला से छुरिया के लिए रोड़ कटती है. चिचोला से छुरिया महज 8 किलोमीटर दूर है. यह वही छुरिया है जहाँ के थाने पर अविभाजित मध्यप्रदेश के समय नक्सलियों ने हमला कर दिया था.

खैर, छुरिया विकास खँड़ का आमगाँव कभी बेहद नक्सल प्रभावित माना जाता था. छुरिया से कल्लू बँजारी जाने वाले मार्ग पर लगभग छह किलोमीटर आगे चलने पर वही आमगाँव आता है जहाँ कि 200 एकड़ जमीन इन दिनों सुर्खियों में बनी हुई है.

तकरीबन दो दशक पहले यह जमीन जिस ठाकुर परिवार की हुआ करती थी उसे भी नक्सली अत्याचार झेलना पडा़ था. डरे सहमे ठाकुर परिवार के सदस्य राजनांदगाँव चले गए थे. बाद में उन्होंने अपनी इस जमीन को बेच दिया था.

आमगाँव के एक बुजुर्ग इस बारे में बताते हैं कि उन्होंने इसी जमीन पर रोजी मजदूरी की थी. वह तब ठाकुर परिवार के मुलाजिम हुआ करते थे. नाम नहीं छापने की शर्त पर वह ठाकुर परिवार की बहुत सी बातें कहते हैं, बताते हैं.

लेकिन ग्रामीण स्तर के जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारी – कर्मचारी मौन साध जाते हैं. तहसील से लेकर ग्राम पँचायत तक सभी चुप हैं. यह समझ से परे है. कोई कुछ बोलने तैयार नहीं है.

छुरिया में जरूर दो चार ऐसे व्यक्तियों से मुलाकात होती है जोकि बहुत कुछ बताते हैं और बहुत कुछ छिपा ले जाते हैं.

तकरीबन 45-50 साल की उम्र के अर्जीनवीस का काम करने वाले एक व्यक्ति ऐसे ही थे. उन्होंने बताया कि जमीन भले ही नांदगाँव के किन्हीं व्यक्तियों अथवा कँपनी के नाम से पँजीकृत है लेकिन इससे लखमा परिवार कहीं न कहीं जुडा़ हुआ है.

अपने दावे को पुख्ता करने वह पहले हरीश लखमा के छुरिया आने की बात कहते हैं. हालाँकि दो चार और ऐसे लोग मिले थे जिन्होंने भी हरीश के छुरिया प्रवास की पुष्टि की लेकिन कोई सबूत नहीं दिखा पाए.

दरअसल, यह जमीन क्यूं सुर्खियाँ बन रही है इस पर ध्यान देने की जरूरत है. बताया जाता है कि हैदराबाद के किन्हीं वीपी नरसिम्हा राव पेछैया से यह जमीन जब राजनांदगाँव निवासी कुछ लोगों ने खरीदी थी तब हरीश लखमा छुरिया पहुँचे हुए थे.

विक्रेता को हैदराबाद के बँजारा हिल्स का निवासी बताया जाता है. यह वही इलाका है जहाँ दक्षिण भारत के नामी गिरामी व्यक्ति निवास करते हैं. तब से यह जमीन नांदगाँव के व्यक्तियों अथवा कँपनी के नाम से दर्ज है लेकिन विवाद उठते रहा है.

अब जबकि कवासी लखमा कथित शराब घोटाले को लेकर ईडी के निशाने पर हैं तब इस जमीन के असली मालिक को लेकर बहस छिड़ चुकी है. छुरिया क्षेत्र में यह दावा बहुतायत लोग करते नज़र आते हैं कि लखमा परिवार के पैसे के दम पर यह जमीन खरीदी गई है.

बहरहाल, सवाल अब भी जिंदा है कि लखमा अथवा बग्गा में जमीन किसकी है ? क्या वाकई जाँच एजेंसियां इस ओर गौर कर रही हैं ?

“इस सँबँध में अभी तक ईडी ने जिला प्रशासन से किसी भी तरह का पत्र व्यवहार नहीं किया है. मेरी जानकारी में यह बात अब तक नहीं आई है.”

  • सँजय अग्रवाल

जिलाधीश, राजनांदगाँव.