गुना/उज्जैन।
क्या ईश्वर को सृष्टि का पालनहर्ता माना जाता है? क्या ईश्वर के हाथ में सबकुछ है अथवा प्रभु की लीला अपरंपार है? ये चंद सवाल हैं जो कि मध्यप्रदेश सहित अन्य जगहों के भक्तों को सोचने-समझने मजबूर कर रहे हैं। दरअसल, एक तरफ गुना का मामला है और दूसरी तरफ महाकाल की नगरी उज्जैन चर्चा में है। गुना में महाबलि हनुमान ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया है तो दूसरी तरफ उज्जैन में महाकाल को आयकर विभाग ने नोटिस थमाई है।
मामला मध्यप्रदेश के गुना जिले के पिपरौदा खुर्द गांव के ललुआ टोरा धाम के हनुमान मंदिर का है। जहां के हनुमान जी के नाम से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में एक पिटिशन दायर की गई है। ये पिटिशन हनुमान जी के नाम से दायर की गई है। साथ ही हर्जाने के तौर पर एक करोड़ भी मांगे गए हैं। मंदिर के पुजारी देवेंद्र भार्गव हैं।
याचिका में क्या है
पिटिशन के मुताबिक, मंदिर के आसपास की चरनोई भूमि पर 2008 के बाद माइंस की लीज देने का सिलसिला शुरू हुआ। आज हालत यह है कि यहां 13 खदानें हैं, जिनमें से कई 50 से 70 फीट तक गहरी हैं। 2 अप्रैल 2017 को पत्थर निकालने के लिए की गई ब्लास्टिंग से प्रतिमा में दरारें भी आ गईं।
एनजीटी में दायर पिटिशन में लिखा है कि मैं, अंजनि पुत्र हनुमान। ग्रीन ट्रिब्यूनल से विनती करता हूं कि मेरे मंदिर के आसपास चल रही पत्थरों की खदानों को तुरंत बंद कराया जाए। इन खदानों में ब्लास्टिंग पर रोक लगे। इन्हें मिट्टी से ढका जाए। क्योंकि उनमें ब्लास्ट से मेरी प्रतिमा में दरारें आ गई हैं। मेरे पुजारी के बार-बार मना करने के बावजूद मंदिर से 30 फीट दूरी पर 80 फीट गहरी खाई बना दी गई है, जिससे मेरा अनादिकाल पुराना मंदिर खतरे में है। मेरे नुकसान की कोई भरपाई तो नहीं हो सकती, लेकिन फिर भी बतौर हर्जाना मुझे एक करोड़ रुपए दिए जाएं।
पुजारी के वकील पुष्पराग का कहना है, चूंकि कानून के मुताबिक भगवान की प्रतिमा को एक व्यक्ति की तरह ही माना जाता है। इसलिए यह अर्जी अंजनि पुत्र हनुमान की तरफ से स्टेट और अन्य 14 के खिलाफ पेश की गई। इसमें राज्य सरकार, 13 खदान संचालक और कलेक्टर को पार्टी बनाया गया है। ट्रिब्यूनल जल्द ही मामले की सुनवाई करेगा।
डूब मरे हैं सात बच्चे
उल्लेखनीय है कि इन खदानों में से एक में पिछले साल नवंबर में सात बच्चों की डूबकर मौत हो गई थी। उस खदान की लीज तो हादसे के बाद खत्म कर दी गई। पर बाकी में माइनिंग जारी है। शहर की सीमा से सिर्फ 2 किमी की दूरी पर मौजूद इन माइंस से इलाके में एनवायरमेंट को भी नुकसान हो रहा है। माइनिंग ऑफिसर आकांक्षा पटेल कहती हैं 18 फीट तक खुदाई के बाद लीज होल्डर्स को इंफोर्मेशन देनी होती है। इससे ज्यादा खुदाई करने वालों ने जानकारी दी होगी। रिन्यू होने पर कलेक्टर तय करेंगे कि उन्हें दोबारा लीज पर देना है या नहीं।
इधर, मंदिर से हिसाब मांग रहा आयकर
इधर, उज्जैन के महाकाल मंदिर से आयकर विभाग हिसाब मांग रहा है। आयकर विभाग ने देश भर में प्रख्यात महाकाल मंदिर समिति को नोटिस भेजा है। इस नोटिस में विभाग ने वर्ष 2015-16 के लिए 2 करोड़ 63 लाख 46 हजार 810 रुपए का हिसाब मांगा है। मंदिर समिति की ओर से यह हिसाब अब तक प्रस्तुत नहीं किया गया है। आयकर विभाग ने पूछा है कि यदि कोई विवाद हो तो वह भी बताए।
आयकर विभाग ने अपने नोटिस में मंदिर प्रबंधन समिति को 11 अप्रैल तक बिल सहित जवाब दाखिल करने का समय दिया है। वहीं यदि इसको लेकर कोई विवाद लंबित है तो भी उसकी डिटेल 11 अप्रैल तक विभाग के ऑफिस में देने के लिए कहा गया है, ताकि इसके बाद इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई अमल में लाई जा सके।
नोटिस में कहा गया है कि यदि इस राशि को लेकर कोई विवाद या असमंजस है तो इस संबंध में आयकर की धारा 154 के तहत विवाद का कारण बताते हुए साक्ष्यों जैसे कि ऑडिटिड इनकम, बैलेंस शीट, व्यय लेखा, ऑडिट रिपोर्ट आदि के साथ एक नई एप्लिकेशन दाखिल की जाए।