नेशन अलर्ट / 97706 56789
रायपुर.
मोदी सरकार की जन विरोधी और कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों के खिलाफ और कोरोना संकट के दौर में आम जनता को राहत देने संबंधी 16 सूत्रीय मांगों पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का देशव्यापी अभियान गुरुवार से शुरू होने जा रहा है.
इस सप्ताहव्यापी अभियान में कोरोना प्रोटोकॉल और फिजिकल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखकर पूरे प्रदेश में विभिन्न स्तरों पर धरना-प्रदर्शन आयोजित किए जायेंगे.
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किए जायेंगे. माकपा के इस अभियान-आंदोलन को सीटू, किसान सभा, आदिवासी एकता महासभा, जनवादी महिला समिति, जनवादी नौजवान सभा और एसएफआई ने भी अपने समर्थन की घोषणा की है.
माकपा राज्य सचिवमंडल द्वारा जारी एक बयान में बताया गया है कि पार्टी द्वारा चलाये जा रहे इस अभियान में अंतर्राज्यीय प्रवासी मजदूर कानून 1979 को खत्म करने का प्रस्ताव वापस लेने की मांग प्रमुखता से उठाई जा रही है.
इसे और मजबूत बनाने सहित कोरोना आपदा से निपटने प्रधानमंत्री केयर्स फंड नामक निजी ट्रस्ट में जमा धनराशि को राज्यों को वितरित करने, कोरोना महामारी में मरने वालों के परिवारों को राष्ट्रीय आपदा कोष के प्रावधानों के अनुसार एकमुश्त आर्थिक मदद देने की मांग है.
रिहा किए जाएं राजनैतिक बंदी
आरक्षण के प्रावधानों को सख्ती से लागू करने और सारे बैकलॉग पदों को भरने, जेलों में बंद सभी राजनैतिक बंदियों को रिहा करने और पर्यावरण प्रभाव आंकलन के मसौदे को वापस लिए जाने की भी मांग की जाएगी.
माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा कि कोरोना संकट की आड़ में जिन सत्यानाशी नीतियों को देश की जनता पर लादा जा रहा है, उसका नतीजा यही है कि आम जनता के सामने अपनी आजीविका और जिंदा रहने की समस्या है.
वही इस कोरोना काल में अंबानी एशिया का सबसे धनी व्यक्ति बन गया है और उसकी संपत्ति में 20 अरब डॉलर की वृद्धि हुई है. इसके बावजूद आर्थिक पैकेज का पूरा मुंह कॉर्पोरेट घरानों के लिए रियायतों की ओर मोड़ दिया गया है, जबकि आम जनता को कहा जा रहा है कि बैंकों से कर्ज लेकर जिंदा रहे.
माकपा ने कहा है कि स्टैण्डर्ड एंड पुअर द्वारा देश की जीडीपी में 11% से ज्यादा की गिरावट होने का अनुमान लगाया जा रहा है. इसके स्पष्ट है कि एक लंबे समय के लिए देश आर्थिक मंदी में फंस गया है.
इस मंदी से निकलने का एकमात्र रास्ता यही है कि आम जनता की जेब मे पैसे डालकर और मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध करवाकर उसकी क्रय शक्ति बढ़ाई जाए, ताकि बाजार में मांग पैदा हो और उद्योग-धंधों को गति मिले.
राष्ट्रीय संपदा की बिकवाली बंद हो
इसके साथ ही सार्वजनिक कल्याण के कामों में सरकारी निवेश किया जाए और राष्ट्रीय संपदा को बेचने की नीति को पलटा जाए.
माकपा नेता ने कहा कि यही कारण है कि इस देशव्यापी अभियान में आम जनता की रोजी-रोटी और उसकी आजीविका और उसके लोकतांत्रिक अधिकारों की हिफाजत की मांग उठाई जा रही है.
माकपा नेता ने आरोप लगाया कि लोगों के संगठित विरोध को तोड़ने के लिए अंग्रेज जमाने के काले कानूनों का उपयोग किया जा रहा है और आज आज़ादी के बाद सबसे ज्यादा राजनैतिक कैदी जेलों में है.
श्रम, कृषि, शिक्षा और पर्यावरण के क्षेत्र में मौजूदा कानूनों में जिस तरह कॉर्पोरेटपरस्त बदलाव किये जा रहे हैं और राज्यों के अधिकारों का अतिक्रमण किया जा रहा है, वह हमारे संविधान के संघीय ढांचे के खिलाफ हैं. जनतंत्र पर हो रहे इन हमलों के खिलाफ भी इन अभियान के दौरान आम जनता को लामबंद किया जाएगा.