• गलती दोहराई गई या जानबूझकर की गई बदमाशी
• पीएचक्यू में सूची को लेकर मचा है बवाल
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रायपुर.
अखिल भारतीय पुलिस सेवा ( आईपीएस ) की तबादला सूची पर एक बार फिर पुलिस मुख्यालय ( पीएचक्यू ) में बवाल मचा हुआ है. दरअसल, आईपीएस की सूची में जो गलती हुई है उसकी जिम्मेदारी लेने न तो पीएचक्यू तैयार है और न ही राज्य शासन. परेशान हो रहें हैं दो आईपीएस अफसर जिनके पास आज की तारीख में कोई काम नहीं है.
उल्लेखनीय है कि 7 अगस्त को आईपीएस के ट्रांसफर की एक छोटी सी लिस्ट जारी हुई थी. यह सूची गृह ( पुलिस ) विभाग के अवर सचिव मनोज कुमार श्रीवास्तव के हस्ताक्षर से जारी हुई थी.
इस सूची में दो जिलों के पुलिस अधीक्षक ( एसपी ) सहित कुलजमा चार आईपीएस व एक राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी स्थानांतरित किए गए थे. इसमें जिन जिलों के एसपी प्रभावित हुए उसमें मुंगेली व राजनांदगांव शामिल थे.
पदस्थापना पर बवाल
ज्ञात हो कि वर्ष 2010 बैच के आईपीएस सदानंद कुमार का तबादला एसपी ईओडब्ल्यू से छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल की 16वीं वाहिनी नारायणपुर में सेनानी के पद पर किया गया है.
नारायणपुर के जानकार बताते हैं कि इस पद पर पूर्व से धर्मेंद्र छवई नामक सेनानी तैनात है. छवई के स्थानांतरण अथवा उन्हें हटाए जाने का कोई संदेश 7 अगस्त की सूची में नज़र आता है और न ही उसके बाद आज दिनांक तक इसमें कोई फेरबदल किया गया.
यही हाल आईपीएस जितेंद्र शुक्ला का है जोकि चंद दिनों पूर्व तक राजनांदगांव पुलिस अधीक्षक हुआ करते थे. उन्हें महज चार माह 16 दिन राजनांदगांव के एसपी रहने का सौभाग्य मिला.
नांदगांव एसपी से 2013 बैच के आईपीएस शुक्ला का तबादला सीधे कवर्धा स्थित छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल की उस 17वीं वाहिनी में कर दिया गया जहां के सेनानी का पद भी पहले से ही भरा हुआ है.
वहां पर बतौर सेनानी चैनदास टंडन पदस्थ हैं. चूंकि टंडन को भी स्थानांतरित किए जाने का कोई उल्लेख न तो पहले की सूची में था और न ही अब तक किसी और सूची में टंडन अथवा छवई ( नारायणपुर बटालियन ) का नाम आया है इस कारण आईपीएस शुक्ला-आईपीएस कुमार बेवजह परेशान हो रहे हैं.
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याद आई पुरानी गलती
ऐसा नहीं है कि आईपीएस अफसर के संबंध में जारी हुई किसी सूची में गलती कोई पहली मर्तबा यहां पर हुई हो. पहले भी छत्तीसगढ़ में ऐसा हो चुका है.
याद करिए आईपीएस हिमांशु गुप्ता व आईपीएस एसआरपी कल्लूरी के संबंध में जारी हुई सूची को. नवंबर 2019 में जारी हुई इस सूची में आईपीएस गुप्ता व कल्लूरी तब आईजी बना दिए गए थे जबकि इसके बहुत पहले ही वह एडीजी बन चुके थे.
समझने का मौका भी नहीं देती सरकार : शिवरतन
आईपीएस के इस तरह से तबादले पर विपक्ष के भी तेवर कडे़ हो गए हैं. भाजपा के भाटापारा विधायक शिवरतन शर्मा कहते हैं कि आईएएस-आईपीएस को तो चार छह महीना जिले को समझने में ही लग जाता है.
इस मामले में तो सरकार ने समझने का मौका भी नहीं दिया और स्थानांतरण कर दिया. वह भी उस जगह पर जहां पहले से कोई और पदस्थ हैं. सरकार ने तबादला उद्योग को चलाने में कोई लाज शर्म नहीं रखी है.