नेशन अलर्ट / 97706 56789
बिलासपुर.
जांजगीर कलेक्टर चेंबर के रेस्टरुम में कथित तौर पर बलात्कार करने के आरोप में राज्य शासन द्वारा निलंबित किए गए आईएएस जनकप्रसाद पाठक को गिरफ्तार नहीं किया जा सकेगा. दरअसल, उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है.
मामला ज्यादा पुराना नहीं है. वर्ष 2007 बैच के प्रमोटी आईएएस जेपी पाठक मई अंत तक जांजगीर चांपा के डीएम यानिकि जिला दंडाधिकारी ( जिलाधीश ) हुआ करते थे.
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राज्य सरकार ने पाठक को जांजगीर से स्थानांतरित करते हुए रायगढ़ जिलाधीश रहे यशवंत कुमार को जांजगीर में पदस्थ किया था. अभी पाठक अपना प्रभार यशवंत कुमार को सौंपे ही थे कि वह बेहद गंभीर आरोप से घिर गए.
एनजीओ संचालिका ने लगाया था रेप का आरोप
जांजगीर से पाठक के हटते ही एक एनजीओ संचालिका ने उन पर बलात्कार का आरोप लगाया था. आरोप लगाने वाली महिला का कहना था कि उससे पाठक ने जिलाधीश कक्ष के विश्राम कक्ष में शारीरिक संबंध बनाए थे.
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एक शिक्षाकर्मी की पत्नी उक्त महिला ने अपने आरोपों को लेकर कई तरह के साक्ष्य पुलिस को उपलब्ध भी कराए थे. बाद में जांजगीर के जिलाधीश यशवंत कुमार, पुलिस अधीक्षक पारुल माथुर के निर्देश पर पाठक पर वहां की कोतवाली में जुर्म दर्ज कर लिया गया था.
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निलंबन के बाद से भूमिगत हैं पाठक
जांजगीर पुलिस द्वारा पाठक के खिलाफ भादंवि की धारा 376, 506, 509 ख के तहत अपराध दर्ज किए जाते ही राज्य शासन ने उन्हें निलंबित कर दिया था. तब से ही वह भूमिगत बताए जाते हैं.
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इधर जांजगीर पुलिस ने उनके विरुद्ध जांच शुरु कर दी थी. जांजगीर एसपी ने चांपा एसडीओपी सुश्री पदमश्री तंवर को जांच का जिम्मा सौंपा था. पुलिस ने भी पाठक को नोटिस जारी करते हुए गति बढा़ने का प्रयास नहीं किया.
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इधर, जैसेकि नेशन अलर्ट द्वारा उसी समय आशंका जताई गई थी वैसे ही पाठक ने अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट की तरफ दौड़ लगाई. उन्होंने अपने अधिवक्ता शशांक ठाकुर, आशुतोष पांडेय, हिमांशु सिन्हा के माध्यम से याचिका लगाई.
आज छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अरविंद सिंह चंदेल की कोर्ट ने सुनवाई करते हुए उन्हें अग्रिम जमानत दी. कोर्ट ने कहा कि एफआईआर पढ़ने के बाद यह स्पष्ट होता है कि एफआईआर देरी से कराई गई है.
इस कारण कोर्ट ने मामले को कमजोर पाया. एफआईआर में जो कहा गया है वह भी विश्वसनीय नहीं प्रतीत होता इसलिए याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत का लाभ दिया जाता है.
पीडि़ता पक्ष की ओर से सरफराज खान और राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाअधिवक्ता विवेक रंजन तिवारी ने आरोपी को जमानत दिए जाने पर अपनी आपत्ति जताई थी.