• राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा
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रायपुर.
छत्तीसगढ़ के शिक्षित युवाओं में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है. इस विषय पर आने वाले दिनों में राज्य सरकार की परेशानी बढ़ सकती है क्यूं कि इस मुद्दे पर राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है.
प्रदेश में बेरोजगारी का मसला काफी पुराना है. विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस इस विषय को बार बार उठाते रही थी.
तब प्रदेश की सत्ता पर काबिज डा. रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को कांग्रेस द्वारा उठाए जा रहे सवालों का कोई जवाब भी नहीं सूझता था.
किसानों व महिलाओं के साथ कांग्रेस ने प्रदेश के युवाओं को, उनकी परेशानी को राजनीतिक मुद्दा बनाया था.
विधानसभा चुनाव के दिनों में उसने युवाओं से वायदा किया था कि 25 सौ रुपए बतौर बेरोजगारी भत्ता दिए जाएंगे.
अंततः लोकलुभावन इन वायदों ने प्रदेश में 15 साल तक सत्ता में रही भाजपा को बाहर का रास्ता दिखा दिया. वह महज 15 सीटों पर सिमट गई जिसमें से एक और सीट उपचुनाव में उसे गंवानी पडी़.
कहो कम, करो ज्यादा लेकिन हुआ उलट
राजनीति में रुचि रखने वाले देवेंद्र तिवारी कहते हैं कि प्रदेश में कांग्रेस के दो रुप देखने को मिलते हैं. तिवारी के शब्दों में विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस बहुत अच्छी थी क्यूं कि वह जनअपेक्षाओं से जुडे़ मुद्दे उठाती थी.
. . . लेकिन सरकार में आते वह पूर्ण शराबबंदी के मुद्दे को भूलकर महिला मतदाताओं की नाराज़गी का केंद्र बन गई. इसी तरह बोनस के मसले पर किंतु परंतु की उसकी नीति ने किसानों को नाराज कर दिया.
रही सही कसर युवाओं के मसले ने पूरी कर दी जिसने कांग्रेस का विधानसभा चुनाव में बहुत अधिक समर्थन किया था. 25 सौ रुपए बेरोजगारी भत्ता आज कहां है कोई नहीं जानता.
तिवारी इस पर कटाक्ष करते हुए कहते हैं कि ‘कहो कम करो ज्यादा’ जैसे सूत्रवाक्य को ही बिसरा देने की परेशानी आज कांग्रेस को उठानी पड़ रही है. आज सत्ताधारी कांग्रेस को नापसंद करने वाले बडी़ संख्या में मिल जाएंगे.
पहले आप फिर अभ्यर्थी पहुंचे राजभवन
आम आदमी पार्टी ( आप ) के बाद आज व्याख्याता, शिक्षक, सहायक शिक्षक, सहायक शिक्षक (प्रयोगशाला) 2019 की भर्ती में हो रही देरी को लेकर शिक्षक भर्ती अभ्यर्थी राजभवन पहुंचे थे.
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राजभवन सचिवालय में उनके द्वारा विलंब को लेकर ज्ञापन भी सौंपा गया. इसके पहले आप ऐसा कर चुकी थी.
उसने 16 जुलाई को 14 हजार 580 शिक्षकों की भर्ती नहीं हो पाने के मसले को लेकर राज्यपाल के नाम से उनके सचिवालय में ज्ञापन सौंपा था.
इधर, कोरोना जैसी महामारी ने युवाओं को और परेशान कर दिया है. एक तो उनके पास काम नहीं है ऊपर से यदि निजी क्षेत्र में है भी तो वह भी जा रहा है. सरकार उल्टे अपनी आर्थिक परेशानी गिना रही है.
फिर कैसे और क्यूं हुई नियुक्तियां
आप जैसे दल ने तो इस पर भी सवाल उठाए हैं कि जब राज्य की आर्थिक स्थिति महामारी के चलते डांवाडोल है तो फिर कैसे और क्यूं संसदीय सचिव अथवा निगम-मंड़लों में नियुक्तियां की गईं? कैसे अपने सलाहकारों को राज्य से केबिनेट मंत्री के समकक्ष पद पर पदोन्नति दी गई?
इधर, युवा पत्रकार संजय राजपूत युवाओं की बेरोजगारी को भयावह बताते है. वे कहते हैं कि उन्होंने इस विषय को कवर भी किया है.
उदाहरण के बतौर वह पुलिस भर्ती का मसला बताते हैं जोकि भाजपा-कांग्रेस राज में आज दिनांक तक पूरी नहीं हो पाई.
उल्लेखनीय है कि भाजपा सरकार के समय पुलिस विभाग ने 29 दिसंबर 2017 को आरक्षक के 2259 जीडी पदों के लिए भर्ती विज्ञापन जारी किया था.
आवेदन जमा करने की तारीख 4 फरवरी 2018, लिखित परीक्षा की तारीख 30 सितंबर 2018 थी. 4 अक्टूबर 2018 को मॉडल आंसर जारी किए गए थे.
अभ्यर्थियों की शारीरिक दक्षता परीक्षा 26 अप्रैल से 12 जून 2018 के बीच ली गई थी. इसके बाद हुई लिखित परीक्षा के परिणाम आज तक नहीं निकले.
इसी दौरान हुए चुनाव के बाद राज्य में भाजपा की जगह कांग्रेस ने सरकार बना ली तो यह भर्ती भी खटाई में पड़ गई.
27 सितंबर 2019 को प्रदेश के “विद्वान” पुलिस महानिदेशक ने भर्ती प्रक्रिया को निरस्त करने की घोषणा कर दी थी.
इससे नाराज उम्मीदवार कोर्ट की शरण में गए. हाईकोर्ट की सिंगल बैच में ( 12 दिसंबर 2019 ) उनके खिलाफ फैसला आया जबकि डबल बैच ने उनके पक्ष में फैसला दिया.
दरअसल, 15 अपीलों पर यह फैसला चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन व जस्टिस पीपी साहू की बेंच ने सुनाया था. अभ्यर्थियों के मुताबिक उनकी वकील नौशिना अली सहित अन्य की दलीलें मान्य की गईं.
. . . लेकिन आवेदक शिक्षित बेरोजगारों के हाथ अभी भी खाली ही हैं. संजय कहते हैं कि 90 दिनों में शारीरिक दक्षता परीक्षा लेने का ( यदि लेना चाहें तो ) अदालती आदेश था और यह अवधि भी फरवरी में बीत गई लेकिन हुआ कुछ भी नहीं.
प्रदेश से करीब 3 लाख शिक्षित बेरोजगारों ने इसके लिए आवेदन किया था. इनमें से तकरीबन 65 हजार अभ्यर्थी लिखित परीक्षा में चुने गए थे. इसके बाद भर्ती प्रक्रिया कोर्ट कचहरी के चक्कर काटते रही और कई अभ्यर्थियों की उम्र भी पार हो गई.
अब जबकि इससे मिलते जुलते मुद्दे पर प्रदेश की महामहिम राज्यपाल अनसुईया उइके ने इस विषय पर पहल की है.
उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उनके ध्यान में यह विषय लाया है. राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री को लिखा गया यही पत्र आने वाले दिनों में परेशानी का सबब बन सकता है.
इस विषय पर प्रदेश के विपक्षी दल सरकार को घेरने में शायद ही कोई कंजूसी करें. वैसे भी डा. रमन सिंह, अजय चंद्राकर, बृजमोहन अग्रवाल अथवा राजेश मूणत जैसी विपक्षी पार्टी भाजपा अथवा संजय पराते जैसा विरोधी वामपंथी सरकार को कटघरे में खडा़ करने उतारु हैं हीं.