रायपुर।
पुलिस महानिदेशक यानि कि डीजीपी बदले जाएंगे। सरकार की अब यही मंशा है। जो भी नया डीजी होगा वह विधानसभा चुनाव की तैयारियों को ध्यान में रखकर नियुक्त होगा। अब सवाल इस बात का उठता है कि आखिर एएन उपाध्याय से सरकार क्यों रुष्ठ है? इसके लिए ज्यादा पीछे जाने की जरुरत नहीं है। याद करिए एसआरपी कल्लूरी का विवाद जिसमें सरकार की फजीहत हो गई थी। उसी विवाद के मद्देनजर अब एएन उपाध्याय की कुर्सी दांव पर लगी है।
बस्तर के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) रहे एसआरपी कल्लूरी महकमें में डीजीपी उपाध्याय के दत्तक पुत्र के रुप में चर्चित हैं। इसके बावजूद उपाध्याय चाह कर भी कल्लूरी पर लगाम नहीं लगा पाए। अब इसकी परिणति डीजीपी की कुर्सी गंवाकर उपाध्याय को चुकानी पड़ सकती है।
बस्तर के बाद रायपुर की बारी
साल की शुरुआत लगता है पुलिस महकमे के लिए ठीक नहीं रही थी। सबसे पहले बस्तर और वहां के आईजी रहे एसआरपी कल्लूरी चर्चा में आए थे। कल्लूरी ने सोशल मीडिया का जिस तरह से इस्तेमाल किया वह सरकार को नागवार गुजरा। पहले कल्लूरी हटाए गए। इसके बाद बस्तर और सुकमा के पुलिस अधीक्षक (एसपी) पर गाज गिरी। आरएन दास (बस्तर) व आईके एलेसेला (सुकमा) कल्लूरी की गुडबुक के अफसर माने जाते रहे हैं।
अब जाकर बस्तर को उसका पूर्णकालिक आईजी मिल गया है। वहां विवेकानन्द सिन्हा भेजे गए हैं। इसके बाद अब रायपुर का नंबर है। बस्तर में आईजी की नियुक्ति के साथ ही सरकार डीजीपी के प्रभार में फेरबदल को लेकर रणनीति तैयार कर रही है। संभवत: इस महिना इसका नतीजा भी सामने आ जाएगा। कल्लूरी के बाद अब एएन उपाध्याय का जाना तय है। उपाध्याय के बाद कौन होगा डीजीपी इस सवाल का जवाब ढूंढने में सरकार लगी हुई है। जिस दिन इसका जवाब मिल गया उस दिन प्रदेश को नया डीजीपी भी मिल जाएगा।