• स्टेट बार काउंसिल चुनाव में गिरफ्तारी के खिलाफ अवमानना याचिका पर हुई सुनवाई
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बिलासपुर.
प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ( डीजीपी ) सहित पुलिस के अन्य अधिकारियों को बिलासपुर हाईकोर्ट में फटकार पड़ गई. अंततः डीजीपी ने माना कि पुलिस से इस मामले में गलती हुई है.
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ स्टेट बार काउंसिल चुनाव 2014 में कथित तौर पर हुई गड़बड़ी के मामले में चल रहा विवाद अब कोर्ट तक पहुंच गया है.
काउंसिल की पूर्व सचिव मल्लिका बल की गिरफ्तारी के खिलाफ अवमानना याचिका कोर्ट में लगाई गई थी.
बिलासपुर हाईकोर्ट में लगी अवमानना याचिका की सुनवाई में गुरुवार को डीजीपी डीएम अवस्थी स्वयं उपस्थित हुए थे.
हाईकोर्ट में उपस्थित होकर कार्यवाही में गलती होने की बात डीजीपी अवस्थी स्वीकार की है. अब मामले में आगे कोई कार्यवाही नहीं करने का भरोसा दिलाया है.
बिलासपुर हाईकोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को फटकार लगाते हुए याचिका को निर्णय के लिए सुरक्षित रखा है.
ऐसे समझे मामले को
वर्ष 2014 में छत्तीसगढ़ राज्य विधिज्ञ परिषद का चुनाव हुआ था. मतपत्रों की गिनती के दौरान कुछ उम्मीदवारों ने मतपत्रों से छेड़छाड़ व टेंपरिंग करने का आरोप लगाया था.
मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद याचिकाकर्ताओं को इलेक्शन ट्रिब्यूनल जाने का निर्देश दिया था.
इलेक्शन ट्रिब्यूनल ने शिकायतों की जांच उपरांत मतपत्रों से कोई छेड़छाड़ नहीं होने की रपट दी थी. मतपत्रों में टेंपरिंग किए जाने की बात भी उसने नहीं पाई थी.
फिर अचानक कैसे हुई गिरफ्तारी
5 साल पुराने इस मामले में सिविल लाइन पुलिस ने परिषद की पूर्व सचिव मल्लिका बल को गिरफ्तार कर न्यायालय के आदेश पर जेल दाखिल किया था.
इस कार्रवाई के खिलाफ छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की गई थी. याचिका में कहा गया कि हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद पुलिस ने गलत तरीके से कार्यवाही की.
जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा ने मामले में डीजीपी डीएम अवस्थी, आईजी बिलासपुर डी. काबरा, पुलिस अधीक्षक बिलासपुर प्रशांत अग्रवाल सहित सिविल लाइन टीआई को तलब किया था.
इसी मामले में आज डीजीपी, आईजी बिलासपुर, एसपी बिलासपुर सहित अन्य अधिकारी कोर्ट में उपस्थित हुए थे.
सुनवाई के दौरान डीजीपी की ओर से कहा गया कि इस कार्रवाई में विधि अभिमत प्राप्त करने के बाद पुलिस ने कार्यवाही की है. इसमें पुलिस से कुछ गलती हुई.
उन्होंने आगे कहा अब इस प्रकरण में कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी. मामले को खात्मा खारिज के लिए भेजा जाएगा.
डीजीपी के उक्त कथन के बाद कोर्ट ने कार्रवाई को लेकर अधिकारियों को फटकार लगाई. यही नहीं गलत अभिमत देने वाले अधिवक्ता को भी चेतावनी दी गई है.
हाईकोर्ट ने डीजीपी के उक्त कथन को नोट शीट में लेते हुए प्रस्तुत अवमानना याचिका को क्लोज कर निर्णय के लिए सुरक्षित रख लिया है.
मामले की सुनवाई खुली अदालत में की गई. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रजनीश सिंह बघेल, भरत लोनिया सहित अन्य अधिवक्तागण कोर्ट में पेश हुए थे.