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चे ग्वेरा का जन्म 1928 में रोज़ारियो शहर शहर के एक घर में हुआ था.
बीसवीं सदी के वामपंथी क्रांतिकारी एर्नेस्टो चे ग्वेरा का जन्मस्थान अर्जेंटीना के रोज़ारियो शहर में बिकने जा रहा है.
शहर के केंद्र में स्थित 2580 स्क्वॉयर फ़ुट के इस घर के मौजूदा मालिक फ्रांसिस्को फर्रुग्गिया ने बताया कि उन्होंने इसे साल 2002 में ख़रीदा था.
फ्रांसिस्को का कहना है कि वो इस घर को एक सांस्कृतिक केंद्र में बदलना चाहते थे लेकिन उनकी ये योजना कभी भी हक़ीक़त में नहीं बदल पाई.
हालांकि अर्जेंटीना के इस बिज़नेसमैन ने ये नहीं बताया कि उन्होंने इस घर की क्या क़ीमत रखी है.
बीते सालों में बड़ी संख्या में लोग इस इमारत को देखने के लिए आते रहे हैं.
क्यूबा की क्रांति
यहां आने वाले नामचीन लोगों में उरुग्वे के पूर्व राष्ट्रपति जोसे पेपे मुजिसा और क्यूबा के क्रांतिकारी नेता फ़िदेल कास्त्रो के बच्चे शामिल रहे हैं.
लेकिन शायद यहां आने वाले लोगों में सबसे मशहूर नाम एल्बर्टो ग्रानाडोस का है जिन्होंने पचास के दशक में चे ग्वेरा के साथ दक्षिण अमरीका की मोटरसाइकिल से यात्रा की थी.
पेशे से डॉक्टर एल्बर्टो तब नौजवान थे और चे ग्वेरा के साथी भी.
चे ग्वेरा का जन्म साल 1928 में एक खाते-पीते मध्य वर्गीय परिवार में हुआ था लेकिन जब उन्होंने दक्षिण अमरीका में ग़रीबी और भूख देखी तो उन्होंने क्रांति का रास्ता अपना लिया.
क्यूबा की क्रांति के दौरान उन्होंने अहम भूमिका निभाई. इस क्रांति में फुल्गेन्सिको बतिस्ता की तानाशाही का तख़्तापलट कर दिया गया था.
इसके बाद चे ग्वेरा ने क्रांति का दायरा पूरे दक्षिण अमरीका और विकासशील देशों तक ले जाने की इच्छा जताई.
चे ग्वेरा क्यूबा से बोलिविया चले गए जहां उन्होंने राष्ट्रपति रेने बैरिएंटोस ओर्टुनो के ख़िलाफ़ जंग लड़ रहे विद्रोही बलों की अगुवाई की.
चे ग्वेरा पूरे दक्षिण अमरीका में कम्यूनिस्ट क्रांति की लहर फैलाना चाहते थे.
चे ग्वेरा की हत्या
अमरीका की मदद से बोलिविया की सेना ने चे ग्वेरा और बचे हुए लड़ाकों को पकड़ लिया.
नौ अक्टूबर, 1967 को ला हिग्वेरा नाम के एक गांव में चे ग्वेरा की हत्या कर दी गई और उनका पार्थिव शरीर किसी ख़ुफ़िया जगह पर दफ़ना दिया गया.
साल 1997 में उस गुप्त जगह की जानकारी मिली जिसके बाद उनके अंतिम अवशेषों को क्यूबा लाया गया और उनकी फिर से अंत्येष्टि की गई.
क्रांतिकारी चे ग्वेरा ने अपने जीवनकाल में जो कुछ भी किया, उसको लेकर आज भी लोगों की राय बंटी हुई है.
उनके समर्थक उन्हें समर्पण और आत्म-बलिदान के उदाहरण के तौर पर देखते हैं जबकि उनके आलोचकों का कहना है कि चे ग्वेरा एक क्रूर और बर्बर शख़्स थे.