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• डा सुधा नंद झा ज्योतिषी
आषाढ़ मास कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि रविवार तदनुसार इक्कीस जून को सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है. सूर्य ग्रहण का समय मिथिला पंचांग के अनुसार दिन में दस बजकर उन्नीस मिनट से दिन में दो बजकर पांच मिनट तक रहेगा.
जबकि काशी विश्वनाथ हृषिकेश पंचांग के अनुसार दिन में दस बजकर इकतीस मिनट से दिन में दो बजकर पांच मिनट तक रहेगा.
यह सूर्य ग्रहण पूरे भारतवर्ष में दिखाई देगा. इसके आसपास के देशों में भी दिखाई देगा. विश्व में और भी देशों में दिखाई देगा.
अफ्रीका के उत्तर पूर्वी भागों में, दक्षिण पूर्व यूरोप, रुस के उत्तर पूर्वी भागों को छोड़कर बाकी पूरे एशिया महादेश, मध्य पूर्व देशों, इंडोनेशिया और माइक्रोनेशिया में दिखाई देगा.
किस राशि पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
मेष , सिंह , कन्या और मकर राशि वालों को लाभांवित करेगा सूर्य ग्रहण जबकि अन्य शेष राशियों पर प्रभाव अच्छा नहीं रहेगा.
किसी भी ग्रहण का शुभ या अशुभ प्रभाव उस ग्रहण को देखने के बाद ही होता है किंतु यदि हम ग्रहण नहीं देखते हैं तो ग्रहण का शुभ या अशुभ प्रभाव बिल्कुल नहीं पड़ता है.
इसलिए किसी भी ग्रहण को नहीं देखना चाहिए विशेषकर नंगी आंखों से. विज्ञान भी नंगी आंखों से ग्रहण देखने से मना करता है.
प्रश्र :
क्या प्रभाव पड़ेगा 21 जून के सूर्य ग्रहण का भारत और विश्व पर ?
उत्तर :
इस सूर्य ग्रहण का शुभ प्रभाव ही देखने को मिलेगा. पूरे विश्व को कोरोना की समस्या से मुक्ति मिलने लगेगी. कोरोना योद्धाओं की जीत होती जाएगी. कोरोनावायरस समाप्त होने लगेगा.
प्रश्र :
विश्व की राजनीति कैसी रहेगी ?
उत्तर :
बहुत ही निम्न स्तर पर होगी अधिकांश विपक्षी दलों की राजनीति अपने अपने देश और समाज की एकता और अखंडता के लिए.
पूरे विश्व में नब्बे प्रतिशत विरोधियों की राजनीति वर्षांत तक निम्न स्तर पर होगी. इस का कारण सूर्य ग्रहण के समय बुध, शुक्र, शनि और वृहस्पति ये चारों ग्रह वक्री अवस्था में रहेंगे .वृहस्पति अपनी नीच राशि में रहेंगे. शनि अपनी ही राशि मकर मे वृहस्पति के साथ रहेंगे.
देश की सांप्रदायिक एकता और सामाजिक सौहार्द्र को हर प्रकार से बर्बाद करने की नकारात्मक गतिविधियां रहेंगी. अधिकांश विरोधी पार्टियों, देश विरोधी धर्मगुरुओं की और अगले चुनाव में अपनी रोटी सेंकने वाले नेताओं की नकारात्मक राजनीति देखने को मिलेगी.
प्रश्र :
मनुष्य का जीवन और स्वास्थ्य कैसा रहेगा सूर्य ग्रहण के बाद ?
उत्तर :
2021 तक विश्व के हर मनुष्य को अपने आहार विहार खान-पान और रहन-सहन को सुव्यवस्थित और संतुलित रखना पड़ेगा. इसका कारण जो वर्तमान संकट है इसका प्रभाव तब तक रहेगा.
प्रश्र :
ग्रहण में कैसे रहें ?
गर्भवती माताओं को क्या करना चाहिए ?
उत्तर :
आज विज्ञान भी मना कर रहा है कि ग्रहण के समय भोजन,शयन आदि नहीं करना चाहिए. इसलिए सनातन शास्त्र में लिखा हुआ है कि ग्रहण से कम से कम एक घंटा पहले भोजन नहीं करना चाहिए.
इस दौरान सोना नहीं चाहिए . जो सिद्ध भोजन है उसे अच्छी तरह से ढक दीजिए. उसे स्पर्श नहीं कीजिए. यदि संभव हो तो पीने के पानी में कुश का पत्ता रख दीजिए. तुलसी पत्ता भी रख सकते हैं.
जो माताएं गर्भावस्था में हैं उन्हें अपने गर्भ को मोटे कपड़े से या किसी भी कपड़े से चारों ओर से ढक कर गर्भस्थ शिशु को सुरक्षित करना चाहिए.
जब-तक ग्रहण है ईश्वर का ध्यान करते रहिए. यदि गर्भावस्था वाली मां को किसी विशेष कारणवश नींद आ रही है तो एक दूसरा व्यक्ति उसके समीप बैठ कर ईश्वर का ध्यान करे.
गर्भावस्था वाली माताएं अपने शरीर की ऊंचाई से लगभग आठ ऊंगली अधिक लंबी पतली लकड़ी, छड़ी या सूता या रक्षासूत्र घर के कोने में लंबा करके रख दें. ग्रहण के बाद उसे किसी अच्छे स्थान पर रख दें. विशेष परिस्थितियों में पानी चाय,पतला दूध ले सकती हैं.
सनातन शास्त्र के अनुसार ग्रहण या व्रत पर्व का नियम उनके लिए आवश्यक नहीं है जो अस्वस्थ हैं, वृद्ध या दुर्बलता में हैं अथवा जो कम अवस्था के बच्चे हैं.
प्रश्र :
ग्रहण के समय क्या करना चाहिए हमें ?
उत्तर :
ग्रहण से पहले स्नान कर लीजिए. भगवान को बिना स्पर्श किए ही भजन कीर्तन, पाठ जप करें. हवन करें.
किसी विशेष मंत्र की सिद्धि हेतु उसका जप करें. अपने जीवन की समस्या रूपी ग्रहण को दूर करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करें.
ग्रहण के बाद पुनः स्नान करें. कुष्ठ रोगियों, दिव्यांग, अति निर्धन व्यक्ति की सेवा करें, दान सहयोग करें.
कुछ लोग ग्रहण से पहले और बाद में दोनों स्नान करते हैं तो कुछ लोग केवल ग्रहण के बाद स्नान पूजा करते हैं इसलिए ग्रहण से पहले स्नान करें या फिर नहीं किंतु ईश्वर का चिंतन, पूजा, जप अवश्य कीजिए.
ग्रहण के बाद यज्ञोपवीत बदल लेना चाहिए. ग्रहण के समय गुरु की दीक्षा सर्वोत्तम कही गई है.
हम लोग गृहस्थाश्रम में हैं इसलिए ग्रहण लगने से एक घंटा पहले भोजन आदि बंद कर देंगे. जो लोग दस बारह घंटें तक सूतक भोजन नहीं करने की बात करते हैं वो मंदिरों, संन्यासियों और विशेष रूप से पूजा अर्चना करने वाले लोगों के लिए है.
सोचिए घर में बच्चे , बूढ़े , बीमार लोगों को दस घंटें तक कैसे रख सकते हैं भूखे ?
ग्रहण के समय प्रसव नहीं करना चाहिए यथा संभव. इस का कारण यह बताया गया है कि वह बच्चा मानसिक रूप से दुर्बल हो सकता है.
जमशेदपुर ( झारखंड )
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