मार्च के बाद भूखे मरने छोड़ दी गईं थीं कौशल योजना में चुनी गईं युवतियां !

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फर्जीवाड़े की जांच करे सरकार, 42 हजार खुद खर्च कर राजस्थान से आईं छत्तीसगढ़

नेशन अलर्ट / 97706 56789

रायपुर.

दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना में प्रशिक्षित कर निजी कंपनियों को सौंप दी गईं आदिवासी युवतियों की खबर उस प्रदेश ने भी नहीं ली जहांं की ये हैं. मार्च से अभी तक इनको कंपनी से कोई वेतन नहीं मिला.

इन्हें जिंदा रहने के लिए घर से पैसे मंगवाने पडे़. वह भी कब . . . जब इस आदिवासी बहुल प्रदेश की पक्ष-विपक्ष की तमाम पार्टी पार्टियों की कमान आदिवासी नेतृत्व के हाथों में ही है.

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने राजस्थान के अलवर जिले में फंसे पड़े छत्तीसगढ़ के 37 आदिवासी बच्चों में से 7 की वापसी की जानकारी देते हुए बताया कि सुरक्षा व सुरक्षित घर वापसी की दृष्टि से इन सभी बच्चों को पुलिस प्रशासन के हवाले कर दिया गया है.

इनमें से पांच बच्चे कांकेर जिले के चारामा और नरहरपुर ब्लॉक के तथा दो बच्चे राजनांदगांव जिले के अंबागढ़ चौकी ब्लॉक के हैं.

इन्हीं बच्चों के हवाले से पार्टी ने जानकारी दी है कि दो दिन पहले ही सात और बच्चियां अपने साधन से किराए का वाहन करके अपने गांवों-घरों में पहुंच चुकी है, लेकिन आज तक प्रशासन को उनकी सुध लेने की फुर्सत नहीं मिली है.

उसी तरह ये सात बच्चे भी अलवर से रायपुर तक 42000 रुपए में एक स्कॉर्पियो किराए से करके रायपुर तक पहुंचे हैं. माकपा राज्य सचिव संजय पराते, सचिव मंडल सदस्य धर्मराज महापात्र ने बस स्टैंड में उनकी अगवानी की.

नूरानी चौक स्थित माकपा कार्यालय में निवृत्त होने तथा नाश्ता कराने के बाद उन्हें पुलिस के संरक्षण में सौंप दिया गया, ताकि उनकी सुरक्षित ढंग से घर वापसी हो सके.

माकपा नेता पराते ने कांग्रेस सरकार से मांग की है कि इन बच्चों को छत्तीसगढ़ आने में लगे किराए की अदायगी सरकार उन्हें करें. उनके जिले में इन शिक्षित आदिवासी युवाओं के लिए रोजगार की व्यवस्था करें.

उन्होंने कहा कि कौशल योजना के अंतर्गत दूसरे प्रदेशों में भेजे गए 3000 बच्चे अभी भी बाहर फंसे हुए हैं, उनमें से अधिकांश आदिवासी व कम उम्र की युवतियां है.

एक तरह से तत्कालीन भाजपा सरकार की इजाजत से इनका सस्ते श्रम के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, जिन्हें न तो न्यूनतम वेतन मिलने की गारंटी है और न ही उनके काम के घंटे किसी नियम व शर्तों से बंधे हैं.

यह स्थिति इन बच्चों की बंधुंआ चाकरी की ओर इशारा कर रही है. माकपा ने दीनदयाल योजना के नाम पर चल रहे फर्जीवाड़े की जांच कराने की भी मांग की है.

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