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रायपुर .
छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ आईपीएस निष्पक्ष , निडर , जांबाज जीपी सिंह अंततः अशोक चतुर्वेदी के मामले में शेर साबित हुए हैं. अशोक चतुर्वेदी पूरे घटनाक्रम मेंं ढेर ही नज़र आ रहे हैं.
मामला कुछ ऐसा था कि छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के तत्कालीन महाप्रबंधक अशोक चतुर्वेदी हाल फिलहाल अपने विरुद्ध की गई कार्रवाई से परेशान हैं.
ऐसा माननीय उच्चतम न्यायालय ( सुप्रीम कोर्ट ) द्वारा दिए गए एक फैसले से फौरी तौर पर नज़र आ रहा है. दरअसल, अपने विरूद्ध राज्य में की गई कार्रवाई पर अशोक चतुर्वेदी भाग कर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे.
अशोक ने इसके लिए जीपी सिंह सहित वरिष्ठ आईएएस अनिल टुटेजा व मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थ सौम्या चौरसिया को नामजद परिवादी बनाते हुए याचिका लगाई थी.
बडे़ वकील, बडी़ दलीलें फिर भी याचिका हुई निराकृत !
अशोक की ओर से दायर की गई याचिका में मुकुल रोहतगी जैसे बडे़ वकील ने अपने साथियों के साथ बडी़ बडी़ दलीलें पेश कीं. इसके बावजूद कोर्ट ने याचिका को यह कहते हुए निराकृत कर दिया कि आप मामलें को हाईकोर्ट ले जाइए.
इसके अलावा चार सप्ताह तक किसी भी तरह की कार्रवाई अशोक के खिलाफ नहीं की जा सकती. सुनाए गए फैसले का एक बिंदु कोरोना व लाकडाउन से भी जुडा हुआ है.
न्यायिक प्रक्रिया के जानकारों के मुताबिक इसमें यह कहा गया है कि यदि सुनवाई में लाकडाउन के चलते किसी तरह का विलंब होता है तो उतने दिन और मिलेंगे.
मतलब साफ है कि अशोक चतुर्वेदी को महज फौरी राहत मिली है. उन्होंने जिस उद्देश्य से याचिका दायर की थी वह उद्देश्य लगता नहीं है कि पूरा हो पाया हो.
ईओडब्ल्यू – एसीबी के मुखिया जीपी सिंह इस मामले में शेर ही साबित हुए हैं. अब जबकि अशोक चतुर्वेदी को हाईकोर्ट आना पडेगा तो वह इस प्रकरण में ढेर ही साबित हुए हैं.