विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस: गर्दिश में है भारतीय प्रेस की स्वतंत्रता का सितारा

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कश्मीर से लेकर अंडमान-निकोबार तक पत्रकारों के ख़िलाफ़ दर्ज हो रहे क़ानूनी मामलों की लगातार आ रही ख़बरों और अंतरराष्ट्रीय प्रेस इंडेक्स में लगातार गिरती रैंकिंग के बीच तीन मई को ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस’ का यह मौक़ा भारत के लिए ख़ास उम्मीद बांधता नज़र नहीं आता.

कश्मीर में पत्रकारों के ख़िलाफ़ यूएपीए के तहत दर्ज मामलों की बात हो या छत्तीसगढ़ में एफ़आइआर की चेतावनी के साथ-साथ प्रकाशित ख़बर पर स्पष्टीकरण मांगते सरकारी नोटिस या फिर अंडमान में प्रशासन से सवाल पूछते एक ट्वीट की वजह से गिरफ़्तार हुए पत्रकार का मामला- ‘प्रशासन की छवि को तथाकथित तौर पर नुक़सान पहुँचाने’ की वजह से पत्रकारों के ख़िलाफ़ दर्ज हो रहे मामलों का यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है.

विश्व प्रेस स्वतंत्रता इंडेक्स में 142 स्थान पर फिसला भारत :


प्रेस स्वतंत्रता के मुद्दे पर काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ‘रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर’ (आरएसएफ) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार विश्व प्रेस स्वतंत्रता इंडेक्स में भारत 142वें स्थान पर खिसक गया है.

2020 की यह वर्तमान भारतीय रैंकिंग पिछले साल से भी दो स्थान नीचे है. अपनी रिपोर्ट में भारत पर टिप्पणी लिखते हुए आरएसएफ ने कहा कि पत्रकारों के ख़िलाफ़ लगातार दर्ज हो रहे क़ानूनी मामले भारत की गिरती रैंकिंग की एक बड़ी वजह है.

‘बस्तर की आवाज़’ नामक वेब-पोर्टल प्रकाशित करने वाले पत्रकार नीरज शिवहारे को उनकी एक खबर पर नोटिस दिया गया है

लॉकडाउन के प्रभावों को रिपोर्ट करने के लिए बस्तर के पत्रकार को मिला नोटिस

बीते 26 अप्रैल को बस्तर से ‘बस्तर की आवाज़’ नामक वेब-पोर्टल प्रकाशित करने वाले पत्रकार नीरज शिवहारे को उनकी एक ख़बर के ऊपर एफआइआर की चेतावनी के साथ-साथ स्पष्टीकरण माँगता हुआ एक प्रशासनिक नोटिस दिया गया है.

( साभार : बीबीसी / प्रियंका दुबे )

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