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राजनांदगांव.
पंद्रह साल तक छत्तीसगढ़ की राजनीति में जिस व्यक्ति का एक छत्र राज चला उस व्यक्ति को अब किराए के कार्यालय ढूंढने में दिक्कत महसूस हो रही है. पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के लिए उनका निजी स्टॉफ कार्यालय खोजने में लगा हुआ है.
2004 से 2018 तक राजनांदगांव को इस बात का दर्जा मिला हुआ था कि वह मुख्यमंत्री का गृह जिला है. पहले कार्यकाल में मुख्यमंत्री डोंगरगांव विधानसभा क्षेत्र से आते थे जबकि दूसरे और तीसरे कार्यकाल में उन्होंने राजनांदगांव विधानसभा को गौरवान्वित किया था.
चौथे कार्यकाल के पहले हो गई हार
हालांकि चौथे कार्यकाल में डॉ. रमन सिंह ने तो राजनांदगांव विधानसभा सीट से एक बार फिर जीत हासिल कर ली लेकिन उनकी पार्टी भाजपा सत्ता की लड़ाई हार बैठी.
भाजपा को महज पंद्रह सीटों पर संतोष करना पड़ा. वह पंद्रह भी अब कम होकर चौदह पर आ गई हैं. बस्तर संभाग की दंतेवाड़ा सीट से विधानसभा का उपचुनाव जीतकर देवती कर्मा ने शहादत को भुनाने का भाजपा का गणित गड़बड़ा दिया था.
इधर, अब पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को राजनांदगांव शहर में कार्यालय की जरूरत महसूस हो रही है. हाल फिलहाल उनका कामकाज भाजपा के जिला स्तरीय कार्यालय से हो रहा है लेकिन व्यक्तिगत तौर पर उनके पास कार्यालय नहीं है.
सूत्र तो यह तक बताते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के लिए कार्यालय देने में राजनांदगांव के लोगों द्वारा कोई रूचि नहीं ली जा रही है. पूर्व मुख्यमंत्री के स्टाफ से जुड़े उत्तम साहू कहते हैं कि कार्यालय की तलाश जीई रोड के आसपास हो रही है.
उत्तम यह भी कहते हैं कि जैसे ही यह तलाश पूरी हो जाएगी वैसे ही पूर्व मुख्यमंत्री का कार्यालय राजनांदगांव विधानसभा में स्थापित कर दिया जाएगा. तब तक लोगों को परेशानी हो सकती है.
बहरहाल, कैंप कार्यालय अथवा मुख्यमंत्री निवास का दर्जा हासिल करने वाले राजनांदगांव की तासीर ऐसी है कि रंक को राजा अथवा राजा को रंक बनाने में देर नहीं होती है. पूर्व मुख्यमंत्री इसका एक उदाहरण मात्र हैं.