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राउरकेला.
128 वर्ष पुराना राउरकेला स्टेशन आने वाले दिनों में राज्य की राजधानी भुवनेश्वर से सीधे जुड़ जाएगा. बंडामुंडा-बरसुआं व संबलपुर-तालचर-बरन ब्रांच लाईन का काम पूरा होते ही ऐसा संभव हो पाएगा.
बताया जाता है कि फिलहाल भूमि अधिग्रहण के पेच के चलते काम अटका हुआ है. इस रूट पर दस बड़े ब्रिज बनने हैं जिनमें से महज तीन बन पाए हैं.
इसी तरह 71 रोड अंडरब्रिज में से आज दिनांक तक 10 पर ही काम हो पाया है. 28 ओवरब्रिज में से फिलहाल एक भी नहीं बन पाया है. लाईन बिछाने का काम सुस्त गति से बढ़ रहा है.
1891 में बना था
राउरकेला रेल्वे स्टेशन का इतिहास 128 साल पुराना है. इसका निर्माण 1891 में तत्कालीन महुलपाली गांव में हुआ था.
नागपुर आसनसोल रेल लाईन के अस्तित्व में आने के बाद बंगाल-नागपुर रेल्वे जोन के अधीन इस स्टेशन का निर्माण हुआ था. अब इसे भुवनेश्वर से जोडऩे पर काम चल रहा है.
128 बरस की यात्रा के दौरान इस स्टेशन ने बहुत से उतार चढ़ाव देखे हैं. फिलहाल यह स्टेशन देश के सर्वाधिक आय वाले 100 स्टेशनों में शामिल है.
1990 के आसपास हावड़ा-नागपुर-मुंबई रेल रूट का यह मशहूर स्टेशन हो गया था. 1961 में इस स्टेशन का विद्युतीकरण प्रारंभ हुआ. इसके पहले 1950 में जब स्टील प्लांट की स्थापना हुई तो इसका महत्व बढ़ गया.
इस रेल्वे स्टेशन से 10 ट्रेन बनकर चलती है जबकि तकरीबन 100 ट्रेन यहां से होकर गुजरती है. मुंबई और कोलकाता जैसे दो मेट्रो शहरों को जोडऩे वाली ट्रेनें इसी स्टेशन से होकर गुजरती है.