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इंदौर.
देश में भले ही हिंदूवादी सरकार होने का विपक्ष आरोप लगाता रहा है लेकिन भाजपा सरकार के समय आयकर विभाग ने हनुमान मंदिर को दो करोड़ का नोटिस दिया है. मामला शहर में स्थित प्राचीन रणजीत हनुमान मंदिर से जुडा़ हुआ है.
मंदिर को अभी हाल ही में यह नोटिस मिली है. नोटिस आयकर विभाग द्वारा जारी की गई है. बताया जाता है कि मंदिर की दान पेटियों से 2.6 करोड़ रूपए से अधिक की राशि मिली थी.
इस राशि का हिसाब किताब दिए बगैर मंदिर प्रबंधन ने मंदिर के नाम पर खुले बैंक खाते में जमा करा दिया था. जबकि प्रधानमंत्री द्वारा 8 नवंबर 2016 को की गई नोटबंदी के समय के नियमों को देखते हुए राशि का हिसाब किताब देना था.
एक साथ राशि जमा होने के चलते कंप्यूटर की रैंडम स्कूटनी के समय मामले को संदिग्ध मानते हुए पकड़ लिया गया. वहां से मामले को आगामी जांच के लिए आयकर अधिकारी के समक्ष भेजा गया.
बताया जाता है कि वर्ष 2017 के दौरान मंदिर की आय को लेकर जब पूछताछ हुई तो करीब सवा दो करोड़ रूपए की राशि मंदिर को दान में मिली थी पता चला था.
उल्लेखनीय है कि इस मंदिर का ट्रस्ट और आयकर एक्ट की धारा में पंजीबद्ध नहीं होने के चलते नए आयकर नियम के तहत 77 फीसदी कर और पेनाल्टी लगाकर करीब दो करोड़ रूपए की टैक्स डिमांड निकाली गई है.
बताया जाता है कि टैक्स डिमांड निकलने के पहले आयकर विभाग ने बकायदा मंदिर प्रबंधन को पत्र भेजे थे. मंदिर प्रबंधन ने ये पत्र दबा लिए थे. इसकी उन्होंने जानकारी मंदिर प्रशासक व एसडीएम रविकुमार सिंह को नहीं दी थी.
टैक्स डिमांड की नोटिस जब उन्हें मिली तो पता चला कि इस तरह की कार्यवाही आयकर विभाग ने की है. वे दौड़े भागे आयकर अधिकारियों के पास पहुंचे. आयकर विभाग के अधिकारियों को उन्होंने बताया कि सरकारी जमीन पर बना यह मंदिर प्रशासन के अंतर्गत आता है.
यह तर्क देते हुए उन्हें बताया गया कि इसकारण इसका पंजीकृत होना कोई जरूरी नहीं है. टैक्स की जिम्मेदारी नहीं भरने की बात भी कही गई. अब तकनीकी कारणों से टैक्स डिमांड निकल जाने के चलते बात नहीं बनी है.
आयकर विभाग का अपना तर्क है. वह कहता है कि खजराना मंदिर की तरह रणजीत हनुमान मंदिर एक्ट से संचालित नहीं होता है. इसके अलावा आयकर की छूट की धारा के तहत यह चूंकि पंजीकृत नहीं है इसकारण नोटिस पर हरजाना शुल्क देना ही होगा.