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रायपुर.
छत्तीसगढ़ पुलिस में हाल ही में किया गया फेरबदल एक बार फिर विवादों में आ गया है. दरअसल, आईपीएस लेबल पर हुए इस परिवर्तन से कई तरह के सवाल पैदा हो रहे हैं. आईपीएस संजय पिल्ले कुछ ही दिनों में क्यूंकर एफएसएल-प्रासिक्यूशन से हटा दिए गए इस पर सवाल उठ रहे हैं.
दिसंबर माह की 7 तारीख को एक आदेश जारी होता है. यह आदेश तीन पुलिस अधिकारियों के लिए जारी किया जाता है. इनमें 1988 बैच के आईपीएस संजय पिल्ले, 1989 बैच के आईपीएस अशोक जुनेजा व 1994 बैच के आईपीएस गुरजिंदर पाल सिंह जिन्हें ज्यादातर लोग जीपी सिंह के नाम से जानते हैं के संबंध में जारी किया जाता है.
3 नवंबर को भी पिल्ले हुए थे प्रभावित
नवंबर माह की 3 तारीख को एक आदेश निकलता है जिसमें 22 पुलिस अधिकारियों के नाम शामिल थे. इसमें भी आईपीएस संजय पिल्ले प्रभावित हुए थे. तब उन्हें खुफिया चीफ ( इंटेलीजेंस ) से हटाकर संचालक लोक अभियोजन बना दिया गया था.
लोक अभियोजन के साथ ही उन्हें राज्य न्यायिक विज्ञान प्रयोगशाला रायपुर ( एफएसएल ) का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया था. इसी सूची में अशोक जुनेजा को वर्तमान प्रभारों के साथ भर्ती व चयन प्रक्रिया का अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक बनाकर ताकतवर किया गया था.
अब सवाल इस बात का उठता है कि ऐसा क्या कारण था कि महज 35 दिनों के भीतर ही संजय पिल्ले लोक अभियोजन के प्रभारी पद से हटा दिए गए. हालांकि उन्हें जेल के रूप में ताकतवर प्रभार मिला है लेकिन इतनी जल्दी प्रभावित होने वाले अधिकारियों की सूची में क्यूंकर उनका नाम आया इस पर सवाल उठ रहे हैं.
क्यूंकर जेल व होमगार्ड अलग किए गए
सवालों की लंबी फेहरिस्त है. एक सवाल इस बात का भी है कि क्यूंकर जेल व होमगार्ड इस बार पृथक किए गए. दरअसल, वर्ष 2012 से जेल व होमगार्ड को एक साथ रखकर उस पर नियुक्ति की जाती रही थी.
लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ. आईपीएस पिल्ले को जेल दे दिया गया जबकि इससे पृथक किए गए होमगार्ड का प्रभार आईपीएस अशोक जुनेजा को दे दिया गया. आईपीएस अशोक जुनेजा पर पहले से ही काम का बोझ था और उन्हें एक और प्रभार देकर तकरीबन बोझ की गठरी उन पर लाद दी गई है.
अब बात आईपीएस जीपी सिंह के संदर्भ में… छत्तीसगढ़ के दमदार आईपीएस सिंह इन दिनों राज्य की ईओडब्ल्यू-एसीबी के प्रभारी जैसा भारी प्रभार संभाल रहे हैं. ईओडब्ल्यू-एसीबी में पदस्थ रहते हुए ही आईपीएस मुकेश गुप्ता ने रायपुर से लेकर दिल्ली तक इतना नाम कमाया था कि आज भी सरकार उनसे लड़ाई में पार नहीं पा पा रही है.
इस पद पर अब जीपी सिंह हैं जिन्हें राज्य सरकार में एक धाकड़,बेबाक और कर्मशील अफसर के रूप में जाना जाते रहा है. मुकेश गुप्ता को सीधे तौर पर किसी तरह की चुनौती देने वाले अधिकारियों की सूची तैयार होगी तो उसमें अवश्य जीपी सिंह का नाम शामिल रहेगा.
अब देखिए न जीपी सिंह को लोक अभियोजन सहित राज्य न्यायिक विज्ञान प्रयोगशाला का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया है. जीपी सिंह इस स्तर के अधिकारी हैं कि उनसे पूछे बगैर ऐसा फैसला सरकार नहीं कर सकती है. यदि उन्हें यह प्रभार मिला है तो इसमें उनकी सहमति रही होगी तभी ऐसा हुआ.
आईपीएस जीपी सिंह अब क्यूंकर यह प्रभार लेना चाहते थे इस पर दिमाग दौड़ाया जा रहा है. संभवत: सरकार को कोर्ट कचहरी सहित अपने विरोधियों को साधने में जो दिक्कत महसूस हो रही है उसे ठीक करने के लिए जीपी सिंह को यह प्रभार दिया गया होगा. यदि ऐसा है तो आने वाला समय सरकार व जीपी सिंह से ज्यादा उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण होगा जो कि सवाल दर सवाल उठाते आ रहे हैं.