रायपुर।
मड़वा प्रोजेक्ट में तीन दिनों बाद भी सुधार नहीं हो पाया है। इसके चलते पांच सौ मेगावाट उत्पादन क्षमता वाली इकाई दो अभी भी बंद पड़ी है। गर्मी के दिनों में ज्यादा बिजली खपत होने के कारण यह आंकड़ा 3 हजार 553 मेगावाट तक पहुंच गया है। अकेले मड़वा प्रोजेक्ट की नौ इकाई के बंद होने से 1590 मेगावाट बिजली मिलने में प्रदेश को परेशानी हो रही है। इधर, डीएसपीएम की 50 मेगावाट की एक इकाई भी तकनीकि खराबी के कारण बंद हो गई है।
उत्पादन कंपनी की डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत गृह (डीएसपीएम) korba की बंद एक नंबर इकाई की तकनीकी खराबी दूर कर सोमवार को चालू किया गया था। 250 मेगावाट की इस इकाई से मात्र 184 मेगावाट बिजली उत्पादन हो रहा है। उधर कोरबा पूर्व संयंत्र की चार नंबर तकनीकी खराबी आने की वजह से बंद पड़ गई। संयंत्र की छह में से तीन इकाई ही परिचालन में है। इनमें 50 मेगावाट की दो तथा 120 मेगावाट की छह नंबर शामिल है। 440 मेगावाट के इस संयंत्र से मात्र 143 मेगावाट बिजली उत्पादन हो रहा है।
वाइब्रेशन आने से बंद हुई
जांजगीर-चांपा स्थित 1000 मेगावाट के मड़वा परियोजना की दोनों इकाई बंद पड़ी हुई है। उम्मीद जताई जा रही थी कि सुधार कार्य के बाद 500 मेगावाट की दो नंबर इकाई को चालू कर लिया जाएगा, पर सुधार कार्य पूरा नहीं हो सका। एक नंबर इकाई पहले में बाइब्रेशन आने से बंद हो चुकी है। इस इकाई को फिलहाल चालू करना संभव नजर नहीं आ रहा है। 3400 मेगावाट वाले उत्पादन कंपनी के संयंत्रों से मात्र 1370 मेगावाट बिजली उत्पादन हो रहा है। आईपीपी व सीपीपी से बिजली लेकर उपलब्धता 1641 मेगावाट है।
सेंट्रल सेक्टर से लगभग 1912 मेगावाट बिजली लेने पर कुल उपलब्धता 3639 मेगावाट रही। सोमवार को पीक अवर्स में बिजली की मांग 3553 मेगावाट रही। जानकारों का कहना है कि सेंट्रल सेक्टर से बिजली मिलने की वजह से संयंत्र से उत्पादन कम होने के बाद भी दिक्कत नहीं आई। गर्मी बढऩे की वजह से बिजली की मांग में दिन में चार हजार मेगावाट के करीब पहुंच रही है।