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रायपुर.
झीरम के दागी अफसर को राज्य की खुफिया पुलिस की कमान सौंपे जाने के बाद कांग्रेस के उन शहीदों के परिवार ठगा सा महसूस कर रहे हैं जिन्होंने परिवर्तन यात्रा के दौरान अपना लहू बहाया था. आईपीएस हिमांशु गुप्ता की नवीन पद स्थापना से शहीद कांग्रेसियों के परिवार अब कांग्रेस की राष्ट्रीय अंतरिम अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी से उम्मीद लगाए हुए हैं.
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने विपक्ष में रहते हुए परिवर्तन यात्रा का आगाज किया था. इसका नेतृत्व तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल कर रहे थे. पटेल के नेतृत्व में कांग्रेस के तमाम छोटे बड़े नेता बस्तर यात्रा पर निकले थे.
बस्तर में परिवर्तन यात्रा के दौरान नक्सलियों ने झीरम घाटी के समीप एक वहशी हमला किया था. इस हमले में नंदकुमार पटेल सहित पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा, पूर्व विधायक उदय मुदलियार सहित कई कांग्रेसियों-कर्मचारियों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी.
उस समय उम्मीद की जा रही थी कि प्रदेश की तत्कालीन भाजपा सरकार बर्खास्त की जा सकती है. तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने अपनी बर्खास्तगी की चर्चाओं को सुनते हुए बोरिया बिस्तर भी बांधना तकरीबन शुरू कर दिया था.
लेकिन यह कांग्रेस है… यहां सब कुछ तय मापदंड के हिसाब से नहीं होता है. तब के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, यूपीए की चेयरपर्सन श्रीमति सोनिया गांधी, राहुल गांधी ने सरकार को बर्खास्त न कर एक तरह से भाजपा को जीवनदान दिया था.
इसके तत्काल बाद हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर से छत्तीसगढ़ को जीत लिया था. मतलब परिवर्तन यात्रा का उद्देश्य पूरा नहीं हो पाया था. फिर भाजपा की सरकार बनीं और उन सारे अधिकारियों की निकल पड़ी जो कि झीरम के नक्सली हमले में दागदार बताए गए थे.
उस समय के तत्कालीन बस्तर आईजी हिमांशु गुप्ता को तब की राज्य सरकार ने बस्तर से हटा दिया दिया था. इसके बाद जब फिर से भाजपा की सरकार बनी तो उन्हें सरगुजा रेंज की कमान सौंप दी गई. इसके बाद क्या कुछ हुआ जिस पर शहीद कांग्रेसियों के परिवार ठगा सा महसूस कर रहे हैं यह आप सबको मालूम है.
पहले दुर्ग रेंज फिर खुफिया पुलिस
आईपीएस हिमांशु गुप्ता इस मामले में बहुत भाग्यशाली कहे जा सकते हैं. उन्हें प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद जहां लूपलाइन में पड़ा होना चाहिए था वहीं वह अपने पहले परिवर्तन में राज्य की प्रभावशाली दुर्ग रेंज में आईजी बनकर पहुंच गए थे.
यह वही दुर्ग रेंज है जहां से माननीय गृहमंत्री और माननीय मुख्यमंत्री आते हैं. गृहमंत्री-मुख्यमंत्री की इस सरकार में कितनी चलती है यह नेशन अलर्ट नहीं जानता लेकिन आईपीएस हिमांशु गुप्ता के संदर्भ में कहा जा सकता है कि इनकी पद स्थापना में कहीं न कहीं उस व्यक्ति का हाथ है जिसे सुपर सीएम कहलाने का चस्का लगा हुआ है.
अब देखिए न… जिस हिमांशु गुप्ता को कांग्रेसी सरकार के समय कोई अच्छी पद स्थापना नहीं मिलने की उम्मीद की जा रही थी वही हिमांशु गुप्ता दुर्ग रेंज के बाद अब राज्य की खुफिया पुलिस का प्रमुख बन बैठे हैं. आखिर उसकी पद स्थापना क्यूं और कैसे हुई इस पर जांच होनी चाहिए.
बहरहाल, झीरम घाटी में शहीद हुए उन कांग्रेसियों का परिवार अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है जिन्होंने उम्मीद की थी कि उनके साथ अब जाकर न्याय होगा. न्याय तो छोडि़ए बल्कि उनके साथ हिमांशु गुप्ता की पद स्थापना मजाक करता महसूस करवा रही है.