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रायपुर.
छत्तीसगढ़ के धान को लेकर राजधानी रायपुर से लेकर राजधानी दिल्ली तक का माहौल गरमाया हुआ है. भरी सर्दी में पसीने छूट रहे हैं. कांग्रेस-भाजपा के बीच एक तरह से खेले जा रहे टी-20 मैच में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की गुगली पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा फंस चुके हैं.
राज्य में धान खरीदना बहुत पहले से राजनीतिक विषय रहा है. इस विषय पर जमकर राजनीति होती रही है. इस बार भी ऐसा ही कुछ हो रहा है लेकिन बल्लेबाज बदल गए हैं.
स्वाभाविक है कि गेंदबाज भी बदल गए हैं. अब भाजपा जहां बल्लेबाज की भूमिका में है वहीं राज्य में कांग्रेस गेंदबाज की भूमिका में नजर आ रही है.
अपने स्ट्राइक बॉलर भूपेश बघेल के सहारे कांग्रेस ने भाजपा को घेरने का एक सफल प्रयास किया है. इस बार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा डाली गई गुगली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही भाजपा के बल्लेबाज फंस गए हैं.
समर्थन मूल्य पर छिड़ी थी रार
दरअसल, राज्य का धान समर्थन मूल्य पर खरीदा जाए अथवा नहीं इस विषय को लेकर रार छिड़ गई थी. केंद्र सरकार ने धान का समर्थन मूल्य 1815-1835 रूपए तय कर रखा है.
इधर, राज्य की कांग्रेस सरकार और उसके मुखिया भूपेश बघेल हर कीमत पर पच्चीस सौ रूपए क्विंटल पर धान खरीदी की बात करते रहे हैं.
धान खरीदने का मसला तब बिगड़ा जब केंद्र ने समर्थन मूल्य से अधिक कीमत पर खरीदे गए धान को केंद्रीय पुल में लेने में असमर्थता जता दी.
इस विषय पर प्रदेश की सरकार और उसके मुखिया तत्काल सक्रिय हुए. भूपेश बघेल ने एक ऐसी गुगली डाली जिसमें अब भाजपा के बल्लेबाज आउट होते नजर आ रहे हैं.
छत्तीसगढ़ की सरकार के सरदार ने इस विषय पर हालांकि दिल्ली में प्रदर्शन की बात की थी लेकिन यह हो नहीं पाया. दरअसल सामने अयोध्या से जुड़े विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया था.
इसके चलते राज्य सरकार दिल्ली में अपनी ताकत का इजहार नहीं कर पाई. इधर राज्य के किसानों से लिखवाए गए वह पत्र भी प्रधानमंत्री को नहीं सौंपे जा सके जिसमें पच्चीस सौ रूपए में खरीदी की बात कही गई थी.
धान खरीदी समर्थन मूल्य पर होगी अथवा पच्चीस सौ रूपए क्विंटल पर इसे लेकर कांग्रेस का आंदोलन फिर भी एक तरह से सफल रहा है. कांग्रेस ने प्रदेश के उन भाजपा सांसदों की पोल खोल दी है जो कि प्रदेश के किसानों के हितैषी बन रहे थे.
साथ ही साथ कांग्रेस ने समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की घोषणा करते हुए केंद्र सरकार को केंद्रीय पुल में धान लेने मजबूर कर दिया है. इसके अलावा उसने किसानों को हर हाल में पच्चीस सौ रूपए की दर पर प्रति क्विंटल पीछे भुगतान करने की अपनी मंशा जाहिर कर दी है.
इससे साफ जाहिर है कि सांप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी. अब एक मंत्रियों की समिति यह निर्णय लेगी कि समर्थन मूल्य से खरीदे गए धान के पीछे अंतर की राशि किसानों को किस तरह से दी जाए.
बहरहाल, इस विषय पर भाजपा भले ही अपनी बयानबाजी से बाज नहीं आ रही है लेकिन भूपेश बघेल ने बल्लेबाजी कर रही भाजपा के सारे धुरंधरों को चित कर दिया है.