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भोपाल.
सोने की रहस्यमयी बीमारी के चलते मुख्यमंत्री पद छोडऩे वाले कैलाश जोशी ने दुनिया को अलविदा कह दिया है. रविवार सुबह उन्होंने भोपाल के एक निजी अस्पताल में अपने जीवन की अंतिम सांस ली.
उनके निधन पर मध्यप्रदेश सहित छत्तीसगढ़ के अलावा पूरे देश में शोक की लहर देखी जा रही है. छत्तीसगढ़ शासन ने उनके सम्मान में एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया है.
तांत्रिक क्रिया की उठी थी आशंका
दरअसल 1977 में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद कैलाश जोशी को एक रहस्यमयी बीमारी ने घेर लिया था. तब उन्हें बीस बीस घंटे नींद आती थी.
इस मामले में मुख्यमंत्री की नींद की खबरों को लेकर हाईकोर्ट में याचिका भी लगाई गई थी. याचिका में मुख्यमंत्री पद के लिए कैलाश जोशी को अनफिट बताने वाले ने 86 कतरने प्रस्तुत की थी.
उस समय कैलाश जोशी के संदर्भ में कहा जाता था कि उन पर किसी ने जादूटोना कर दिया है. तब तांत्रिक क्रिया की आशंका भी उठी थी. थक हारकर कैलाश जोशी ने मुख्यमंत्री का पद छोड़ दिया.
पद छोड़ते ही उनकी तबियत पहले की तरह पटरी पर लौट आई. वह फिर से रात दस बजे सोकर सुबह चार बजे उठने लगे थे. कहा तो यह तक जाता है कि कैलाश जोशी की तबियत के पीछे कुशाभाऊ ठाकरे को जिम्मेदार माना जाता है.
बहरहाल, 91 साल की उम्र में उन्होंनें दुनिया को अलविदा कह दिया है. 4 जुलाई 1929 को हार्टपीपल्या (देवास) में जन्में जोशी 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना के समय ही उसके सदस्य बन गए थे.
मुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने वाले कैलाश जोशी इमरजेंसी हटने के तुरंत बाद मध्यप्रदेश के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने थे. 1972 से 1977 तक वह नेता प्रतिपक्ष रह चुके थे.
2002 में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने से जब उमाभारती ने इंकार किया था तो कैलाश जोशी इस पद को संभालने आगे आए थे. 2004 से 2014 तक वह भोपाल से सांसद रहे.
कैलाश जोशी ने हार्टपीपल्या नगर पालिका अध्यक्ष से अपनी राजनीतिक कैरियर की शुरूआत की थी. वह दस साल सांसद रहे.
1998 में दिग्विजय सिंह के भ्राता लक्ष्मण सिंह को चुनावी मैदान में चुनौती देने वाले कैलाश जोशी भले ही 56 हजार वोट से हार गए थे लेकिन भाजपा ने उन्हें राज्यसभा में भेजकर उनका मान सम्मान किया.