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जयपुर.
राज्य के पुलिस अधीक्षक कार्यालयों में जनता की सुनवाई नहीं हो रही है. तभी तो मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद प्रदेश के थानों में कोर्ट ईस्तगासा के आधार पर प्रकरण दर्ज हो रहे हैं. अकेले जयपुर रेंज में 5678 केस कोर्ट से दर्ज हुए हैं.
उल्लेखनीय है कि राज्य में सरकार बदलने के बाद व्यवस्था बदलने का काम भी चला. नए नवेले मुख्यमंत्री बनते ही अशोक गहलोत ने राज्य के लोगों को राहत देने नई परिपाटी शुरू की थी.
मुख्यमंत्री गहलोत जिनके पास राज्य का गृह मंत्रालय भी है ने जिला पुलिस अधीक्षकों के कार्यालय में थाने में परिवादी की सुनवाई नहीं होने पर मुकदमा दर्ज करने की व्यवस्था शुरू कर दी थी.
इसके बावजूद आज भी पुलिस अधीक्षक कार्यालयों में जनता की सुनवाई नहीं हो रही है. प्रदेश के थानों में कोर्ट ईस्तगासा के माध्यम से दर्ज मामले के आंकड़े इसकी सच्चाई बयान कर रहे हैं.
32 हजार ने ली कोर्ट की शरण
अधिकारिक जानकारी के मुताबिक तकरीबन 32 हजार परिवादियों ने मुकदमा दर्ज कराने के लिए न्यायालय की शरण ली है. वर्ष 2018 में अलग अलग धाराओं में कुल जमा 41 हजार मुकदमें दर्ज हुए थे.
फिलहाल 32 हजार का आंकड़ा इससे पीछे जरूर है लेकिन यह सितंबर माह तक का है. नई व्यवस्था शुरू होने के बाद अब इसमें परिवर्तन आ सकता है.
नई व्यवस्था के मुताबिक 1 जून से थानों में मुकदमा दर्ज नहीं होने पर पुलिस अधीक्षक कार्यालयों में मुकदमा दर्ज किए जाने की पहल की गई है.बताया जाता है कि जून से सितंबर माह के ही दौरान तकरीबन दस हजार लोग ऐसे थे जिन्हें फिर भी कोर्ट जाना पड़ा.
दरअसल उनके मामले को पुलिस अधीक्षक कार्यालयों में सुना ही नहीं गया. यदि ऐसा होता तो इनमें से ज्यादातर लोग संभवत: कोर्ट नहीं जाते.