गाहे-बेगाहे मुद्दों को लेकर घिर रहे पूर्व मुख्यमंत्री
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राजनांदगांव.
15 साल प्रदेश संभालने वाले पूर्व मुख्यमंत्री और राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र के मौजूदा विधायक डॉ. रमन सिंह कहां हैं..? बार-बार यह एक सवाल गाहे-बेगाहे मुद्दों के बीच आ ही जाता है।
अपने निर्वाचन क्षेत्र में उनकी लगातार अनुपस्थिति लोगों को खटक रही है। बीते 15 वर्षों में जिले की जनता ने सिर आंखों पर बिठाए रखा। उन्हें बड़ी उपलब्धियों से नवाजने वाली जनता ही अब उन पर सवाल उठा रही है।
केंद्र-राज्य की राजनीति में मशरुफ रहे डॉ. रमन सिंह को उनका जनाधार अब चुनौती दे रहा है। उनकी लगातार निष्क्रियता को लेकर लोग सवाल कर रहे हैं।
राजयोग भोग चुके डॉ. रमन अब जमीनी स्तर पर पहुंच नहीं पा रहे हैं। उनके मुख्यमंत्री तक के कार्यकाल में उनके अधीनस्थ कार्यरत लोग जनता की समस्याओं को उन तक पहुंचाते रहे। उनकी व्यस्तता को समझता आम मानस अब उनके वीआईपी अंदाज से ठीठक गया है।
भाजपा की सत्ता जाने के बाद से ऐसे कई प्रदर्शन हो चुके हैं जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के लापता होने, जमीनी स्तर पर सक्रिय न होने को लेकर आरोप लगाए गए हों।
इन प्रदर्शनों के जवाब अब तक खुद डॉ. रमन ने भी नहीं दिए हैं। अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान वे स्थानीय लोगों से अपील करते रहे थे कि राजनांदगांव पर पूरे राज्य को संभालने की जिम्मेदारी है. . . लेकिन अब जब वे इस जिम्मेदारी से मुक्त हो चुके हैं तो आम लोग उन्हें ढूंढ रहे हैं।
संगठन तक सिमटी सक्रियता
डॉ. रमन सिंह की सक्रियता संगठन तक सिमटी नज़र आती है। उनकी इस कार्यशैली का प्रभाव जमीनी स्तर पर नकारात्मक पड़ रहा है। वे इसे नज़रअंदाज भी करते आ रहे हैं।
वहीं संगठन में भी उनकी नीतियों-रणनीतियों पर अब सवाल उठने लगे हैं। एक खेमा उनके खिलाफ खड़ा नज़र आता है जो उनके ही विश्वसनीय लोगों की खिलाफत कर रहा है। इसे संभालने वे काफी मशक्कत करते दिख रहे हैं।
निकाय चुनाव में कितना फर्क पड़ेगा ?
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के खिलाफ लगातार हो रहे ऐसे छोटे-बड़े प्रदर्शनों का फर्क क्या निकाय चुनाव पर भी पड़ेगा ? ऐसा माना जा सकता है।
संभावना है कि कुछ ही दिनों में आचार संहिता लग जाएगी। विधानसभा का सत्र भी शुरु होने को है। इस बीच अपना आखिरी स्ट्रोक खेलते हुए बड़े ऐलान के लिए कांग्रेस की सत्ता संभाल रहे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजनांदगांव को ही चुना।
वे गुरुवार को यहां के दौरे पर रहे। यह दर्शाता है कि कांग्रेस राजनांदगांव को अब भी गंभीरता से ले रही है और इसकी बड़ी वजह डॉ. रमन सिंह ही हैं। इसके इतर पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ लोगों की बगावत भी उनके लिए परेशानी का सबब बन सकती है।
बड़े कद का नतीजा
मुख्यमंत्री का कार्यकाल खत्म होते ही केंद्रीय भाजपा संगठन ने उन्हें उपाध्यक्ष बना दिया। वे राजनांदगांव से विधायक तो हैं ही लेकिन उनके कद का खामियाजा अब भी उनके क्षेत्र की जनता पचा नहीं पा रही है।
वे अब भी राज्य की राजनीति संभाल रहे हैं। मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान उनके लिए फैसले अब भी कांग्रेस के निशाने पर है वहीं भाजपा की ओर से डॉ. रमन ही हैं जो सत्ता के खिलाफ सवाल खड़े कर रहे हैं। इस बीच उनका क्षेत्र वीरान पड़ा है।
दूरबीन लगाकर विधायक को ढूंढते रहे छात्र
एनएसयूआई छात्रों ने भी आज ऐसे ही मसले को लेकर प्रदर्शन किया। यहां जुटे छात्र अनोखे अंदाज में प्रदर्शन करते हुए दूरबीन लगाकर अपने विधायक को ढूंढते नज़र आए।
उन्होंने कहा कि ऐसे बहुत से मुद्दे हैं जिन्हें हम अपने विधायक के सामने रखना चाहते हैं… उनसे हम अपनी आवाज उठाने की आस रखते हैं लेकिन वे लापता हैं।
छात्रों ने अपने मुद्दों सहित शहर और समाज की समस्याओं को लेकर भी विधायक डॉ. रमन सिंह पर निष्क्रियता का आरोप लगाया।
इस दौरान छात्रवृत्ति न मिल पाने और छात्रवास में अव्यवस्था सहित कई मुद्दों को लेकर उन्होंने अपना पक्ष भी रखा। उनकी आखिरी मांग यही रही कि हमारे जरुरी विषयों को लेकर हमारे विधायक भी सवाल उठाएं।