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नई दिल्ली/रायपुर.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से टकराने वाले नेता की कमी से जूझ रही कांग्रेस को अब जाकर राहत मिली है. एक ऐसा नेता कांग्रेस को मिल गया है जो मोदी को उसी के तौर तरीके से जवाब देना जानता है. कांग्रेस इस नेता पर यदि पूर्णरूपेण भरोसा करे तो आगामी लोकसभा चुनाव में यह नेता कांग्रेस को फिर से पटरी पर ला सकता है.
जी हां, हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की. यह वही भूपेश बघेल हैं जिन्होंने पन्द्रह साल से सत्ता से दूर रही कांग्रेस को राज्य की सत्ता में काबिज करा दिया था.
किंतु-परंतु से परे अब भूपेश बघेल राज्य की राजनीति से बाहर निकलकर देश की राजनीति में अपनी छाप छोड़ रहे हैं. हालांकि उनका सारा ध्यान छत्तीसगढ़ पर टिका हुआ है लेकिन वह गाहे बेगाहे विभिन्न प्रदेशों में यात्रा करते रहते हैं.
जोगी मुक्त हुई कांग्रेस अब मोदी मुक्त होगा देश
प्रदेश कांग्रेस में एक समय अजीत जोगी का दबदबा हुआ करता था. वह समय ऐसा था कि जिस वक्त जोगी से पूछे बगैर प्रदेश कांग्रेस का कोई बड़ा निर्णय नहीं हो पाता था.
राज्य की राजनीति को बेहद नजदीक से समझने वाले अखिल भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी ने सन 2013-14 में यह कहकर टिप्पणी की थी कि जब तक कांग्रेस अजीत जोगी से मुक्त नहीं होगी तब तक वह सरकार में नहीं आ सकती है.
या तो कांग्रेस जोगी से किनारा कर ले या तो जोगी को कमान सौंप दे तभी कांग्रेस का छत्तीसगढ़ में भला हो सकता है.हुआ भी कुछ ऐसा ही.
इधर अजीत जोगी कांग्रेस से रूठ कर उससे दूर हुए और उधर कांग्रेस प्रदेश की सत्ता में काबिज हो गई. अजीत जोगी मुक्त कांग्रेस बनाने का सारा श्रेय तब के प्रदेश अध्यक्ष व वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को जाता है.
भूपेश बघेल ने जोगी मुक्त कांग्रेस को ऐसा नेतृत्व प्रदान किया कि नए नवेले छत्तीसगढ़ में हुए चौथे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने रिकार्ड तोड़ विधायकों को जीता कर भाजपा के चौथी बार सरकार के स्वप्र को धराशाही कर दिया.
अब भूपेश बघेल प्रदेश के मुख्यमंत्री होने के नाते गाहे बेगाहे प्रधानमंत्री से टकराते रहे हैं. इस बार उन्होंने धान के मुद्दे को छत्तीसगढ़ की अस्मिता से जोड़ दिया है. सीएम बघेल ने एक ऐसी गुगली डाली है कि भाजपाई बल्लेबाज शेन वार्न को याद करने लगे हैं.
भूपेश बघेल ने एक बार नहीं दो बार नहीं बल्कि चौथी मर्तबा प्रधानमंत्री को पत्र भेजा है. इस पत्र में उन्होंनें प्रधानमंत्री से पच्चीस सौ रूपए क्विंटल में धान खरीदी करने की अनुमति मांगी है.
इसका तर्क भी वे देते हैं कि पहले भी सेंट्रल पुल ने धान लिया था जब समर्थन मूल्य से अधिक कीमत पर राज्य ने धान लिया था. क्या प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और क्या पूर्व मुख्यमंत्री किसी को भी भूपेश बघेल की यह चाल समझ ही नहीं आई.
भूपेश बघेल ने एक तीर से दो शिकार किए हैं. उन्होंने हर हाल में किसानों को कांग्रेस की ओर मोडऩे एक तरह से ब्रम्हास्त्र चला दिया है.
अब प्रधानमंत्री इन पत्रों का जवाब नहीं दे पा रहे हैं. यदि वह समर्थन मूल्य से अधिक कीमत पर खरीदे गए धान को लेने की सहमति देते हैं तो इसमें भूपेश बघेल की ही जीत है. फिर अन्य राज्यों में भी इस तरह की मांग उठने लगेगी.
यदि प्रधानमंत्री केंद्रीय कोटे में समर्थन मूल्य से अधिक कीमत पर खरीदे गए धान को लेने में अपनी असमर्थता जता देते हैं तो प्रदेश का आम किसान भाजपा के खिलाफ हो जाएगा. इसमें भी भूपेश बघेल की ही जीत है.
भूपेश बघेल ने भाजपा को चारों खानों से घेर लिया है. भाजपा इससे बचकर निकल नहीं सकती है. सबसे बड़ी परेशानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए है. उन्हें आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ के पड़ोसी प्रांत झारखंड सहित नई दिल्ली, बिहार जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव लडऩे के लिए अपनी पार्टी के मनोबल को बनाए रखना है.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसी मनोबल पर चोट की है. उन्होंने बारंबार कहा है कि हर हाल में पच्चीस सौ रूपए क्विंटल में ही उनकी सरकार धान खरीदेगी. यदि वह इस वायदे पर खरे उतरते हैं तो कांग्रेस को एक ऐसा नेता मिल गया है जो नरेंद्र मोदी को उन्हीं की भाषा में जवाब देना जानता है.