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जगदलपुर.
प्रदेश की पूर्ववर्ती रमन सरकार की तर्ज पर भूपेश बघेल की सरकार में भी पुलिस कार्य कर रही है. उस पर निर्दाेष ग्रामीणों को मारने का आरोप जैसे पहले लगता था वैसे अभी भी लग रहा है. मामला नक्सलियों और पुलिस अत्याचार से जुड़ा हुआ है.
उल्लेखनीय है कि अभी हाल ही में दंतेवाड़ा जिले के कटे कल्याण थाना क्षेत्र के बड़े गोदाम में नक्सलियों के साथ हुई कथित मुठभेड़ में पुलिस ने दो नक्सलियों को मार गिराने का दावा किया था.
दोनों कथित नक्सलियों पर एक-एक लाख रूपए का ईनाम घोषित बताया गया था. मृतक कथित नक्सलियों के नाम लखमा व हिड़मा बताए गए थे. पहले ग्रामीणों ने इस मुठभेड़ पर आवाज उठाई थी और अब नक्सलियों ने भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
क्या कहते हैं नक्सली
बहरहाल इस मामले में नक्सलियों ने प्रेस नोट जारी कर मुठभेड़ को जवानों द्वारा ग्रामीणों की हत्या करना करार दिया गया है.
दरभा डिवीजन कमेटी ने बकायदा इस संदर्भ में अपनी राय व्यक्त की है. नक्सलियों की ओर से उनके सचिव साईनाथ ने इस मुठभेड़ को फर्जी करार दिया है.
बताया जाता है कि परिजनों के साथ ही ग्रामीणों ने भी मृतकों को निर्दोष बताया है. उनका कहना है कि सुअर से फसल की रक्षा के लिए दोनों ग्रामीण खेत में बनी कुटिया में बैठे हुए थे.
तभी वहां पहुंचे पुलिस जवानों ने दोनों ग्रामीणों को उठाया और कुछ दूर पर लेजाकर पेड़ से बांध दिया. वहीं पर उन्हें गोली मार दी गई. जवानों ने दोनों को ईनामी नक्सली घोषित कर दिया.
बवाल तब मचा जब परिजनों-ग्रामीणों ने शव उठाने से इंकार कर दिया. दोनों मृतकों के परिजनों ने सर्व बस्तरिया समाज से मुलाकात की थी. उनका कहना था कि वे शव गांव नहीं ले जाएंगे.
इस पर सर्व बस्तरिया समाज के लोगों ने लखमा के भाई जोगा व हिड़मा के चाचा बोड़ा को मानवाधिकार कार्यकर्ता बेला भाटिया की मौजूदगी में समझाया.
गांव के कोटवार हिड़मा, भीमसेन मंडावी, सोमड़ू ताती, छन्नू सहित अन्य जिला अस्पताल पहुंचे थे. बस्तरिया समाज की समझाईश के बाद ये शव ले जाने को तैयार हुए.
टीआई सौरभ कुमार बताते हैं कि पहले पंचनामा कराया गया और उसके बाद जन प्रतिनिधियों की मौजूदगी में शव सौंप दिए गए. परिजन इन शवों को लेकर गांव रवाना हुए थे.