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रांची.प्रदेश की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी को दमदार टक्कर देने के लिए विभिन्न दलों ने महागठबंधन की घोषणा की. इसके बावजूद कई तरह की गांठ इसमें देखी जा रही है. गठबंधन के बाद इसकी जानकारी देने बुलाई गई पत्रकार वार्ता से क्यूंकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) दूर रही इस पर सवाल उठने लगे हैं.
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस, राजद, झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) व वाम दलों के बीच गठबंधन की बात होती थी. इसकी शुरूआत तो हो गई लेकिन झाविमो ने इससे किनारा भी कर लिया है.
दूसरी ओर राजद ने पत्रकार वार्ता में शामिल न होकर अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है. पहला सवाल नेतृत्व से जुड़ा हुआ है. कहा जा रहा है कि झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा.
हेमंत को पांच साल अथवा ढाई साल के लिए नेतृत्व सौंपे जाने के सवाल को कांग्रेसी नेता आरपीएन सिंह ने बड़ी चतुराई से टाल दिया है. गठबंधन की घोषणा रांची में हुई जबकि ऐसा दिल्ली में होता था.
इसी तरह की नाराजगी मासस व भाकपा माले जैसे दलों में भी देखी जा रही है. सीपीआई के राज्य सचिव भुवनेश्वर मेहता तो साफ शब्दों में कहते हैं कि झामुमो-कांग्रेस ने धोखेबाजी की है.
दूसरी ओर सीपीएम के राज्य सचिव गोपीकांत बक्शी कहते हैं कि भाजपा विरोधी वोटों का बिखराव नहीं रूक पाएगा. इसका कारण बताते हुए वे झामुमो-कांग्रेस को इसके लिए असफल करार देते हैं.
बहरहाल जो गठबंधन हुआ है उसमें झामुमो को 43 सीट मिली है. इसी तरह कांग्रेस को 31 सीटों पर चुनाव लड़ाया जाएगा जबकि 7 सीटों पर राजद चुनाव लड़ेगी. राज्य की 81 विधानसभा सीटों पर 30 नवंबर से 20 दिसंबर के मध्य पांच चरणों में चुनाव होंगे. नतीजों की घोषणा 23 दिसंबर को होगी.