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रायपुर.
छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) डीएम अवस्थी के पर कतरे जाने लगे हैं. आश्चर्य इस बात का होता है कि डीजीपी साहब को इस बात की भनक भी नहीं लगी. उनके नजदीकी अधिकारी हाल ही में जारी हुई तबादला सूची में प्रभावित होने वाले अधिकारियों में शामिल हैं. अब यह कहा जाने लगा है कि घर का भेदी लंका ढहाए. लेकिन घर का भेदी आखिर है कौन ?
एक समय यह कहा जाता था कि छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ अखिल भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी डीएम अवस्थी ने सरकार को साध लिया है. बात सही भी थी.
दरअसल पंद्रह साल के भाजपाई शासनकाल के बाद प्रदेश मेें जब कांग्रेस की सरकार बनी तब लोगों को लगा कि मुख्य सचिव (सीएस) व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) बदल दिए जाएंगे. हुआ भी ऐसा ही कुछ.
हालांकि उस समय लोगों को उम्मीद थी कि वरिष्ठ आईपीएस वीके सिंह अथवा आईपीएस संजय पिल्ले छत्तीसगढ़ के नए डीजीपी होंगे. लेकिन आज दोनों की क्या स्थिति है यह बताने की कोई जरूरत नहीं है.
आईपीएस सिंह को पहले ईओडब्ल्यू-एसीबी का चार्ज दिया गया था लेकिन वह भी उनके हाथ से निकल गया. फिलहाल वह जेल-होमगार्ड के डीजी हैं. यही हाल संजय पिल्ले का हुआ.
आईपीएस संजय पिल्ले के पास पहले खुफिया शाखा हुआ करती थी. लेकिन अभी हाल ही में जारी हुई 22 आईपीएस की सूची में उनका भी नाम शामिल है. उन्हें लोक अभियोजन शाखा का प्रभारी बनाकर भेज दिया गया है.
किसी भी प्रदेश में खुफिया शाखा को पुलिस में महत्वपूर्ण पोस्ट माना जाता है. खुफिया चीफ दिन में कम से कम एक बार मुख्यमंत्री से मिलता जरूर है. इस नाते वह मुख्यमंत्री का नजदीकी अफसर कहलाता है. खैर यहां बात डीजीपी डीएम अवस्थी की हो रही है.
साल बदलते बदली तस्वीर
जिस डीएम अवस्थी के बारे में प्रदेश में चर्चा था कि वह भाजपा का नजदीकी अधिकारी होने के नाते नई कांग्रेसी सरकार में कोई महत्वपूर्ण पद पर नहीं रहेगा आखिर वह कैसे डीजीपी बन गया?
जिस डीएम अवस्थी के संदर्भ में प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों की सोच ऐसी रही थी कि वह भाजपा के तत्कालीन मुखिया से मिलने डोंगरगढ़ में प्रयासरत थे वह नई कांग्रेसी सरकार में कहीं ऐरी गैरी पोस्ट पर फेंक दिए जाएंगे वह आखिर प्रदेश के डीजीपी कैसे बन गए?
बात सही है भी. आईपीएस डीएम अवस्थी ने तब लोगों को सोचने समझने मजबूर कर दिया था जब उन्होंने प्रदेश के डीजीपी का पद संभाला था. 20 दिसंबर 2018 की तारीख डीएम अवस्थी के जीवन की महत्वपूर्ण तारीख कही जा सकती है.
इस दिनांक को 1986 बैच के आईपीएस डीएम अवस्थी को डीजीपी बनाए जाने का आदेश निकाला गया था. तब से लेकर अब तक आम जन की यह सोच थी कि उन्होंने सरकार को साध लिया है लेकिन अब ऐसा लगता नहीं है.
साल बदलते बदलते डीजीपी डीएम अवस्थी की तकदीर भी तकरीबन बदल गई है. उनके पुलिस मुखिया होते हुए उनके नजदीकी अधिकारी हाल ही में जारी हुई तबादला सूची में प्रभावित हो गए हैं.
नजदीकी रिश्तेदार माने जाने वाले आईपीएस संजीव शुक्ला, डीजीपी डीएम अवस्थी की सोच से परे कांकेर डीआईजी बनाकर भेज दिए गए. धमतरी एसपी रहे बालाजीराव सोमावार को हटा दिया गया. आईपीएस पवन देव को वह चार्ज मिला जिसे आज दिनांक तक डीएम अवस्थी की लाइफलाइन माना जाते रहा था.
तो आखिर क्यूं और कैसे हुआ? डीजीपी डीएम अवस्थी को भनक भी नहीं लगी और ये सारे फैसले हो गए. इसके पीछे डीजीपी डीएम अवस्थी की खुद की वह पसंद बताई जा रही है जो कि अब उन्हें महंगी पड़ रही है.
उल्लेखनीय है कि प्रदेश मेंं कभी तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नजदीकी होने का फायदा उठाने वाले पुलिस अधिकारी को डीएम अवस्थी ने पाला पोसा है. उन्होंने इस अधिकारी के तबादला होने के बावजूद भी उन्हें अपने साथ संलग्र कर रखा.
यह वही अधिकारी है जो कि आईपीएस जीपी सिंह का बेहद नजदीकी कहा जाता है. इसी अधिकारी को पालने पोसने की कीमत अब डीएम अवस्थी चुका रहे हैं. इसी अधिकारी ने घर का भेदी लंका ढहाए की कहावत को सच साबित किया है.
शायद डीजीपी डीएम अवस्थी यह भूल गए थे कि आस्तीन में सांप नहीं पालना चाहिए. यह उसी आस्तीन के सांप का कारनामा है जिसे अवस्थी ने दूध पिलाया और अंततः उसी ने डसने की कोशिश की है.