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रायपुर.
रायपुर नगर निगम के अधिकारी उच्च न्यायालय बिलासपुर की डिवीजन बैंच को वह स्थान नहीं बता पाए जिस जगह पर कचरा फेंका जा रहा है. दरअसल हाईकोर्ट ने यह जानना चाहा था कि सरोना-भिलाई के बीच डंप किए जा रहे कचरे को किस जगह पर फेंका जा रहा है. अधिकारी इस पर मौन साधे रहे.
अब हाईकोर्ट की डिवीजन बैंच ने रायपुर नगर निगम के अधिकारियों को दो सप्ताह का समय दिया है. यह समय अधिकारियों की तरफ से मांगा गया था.
सरोना निवासियों ने कचरे फेंके जाने को लेकर सरोना बचाव आंदोलन समिति बना रखी है. इसी समिति ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाकर डंपिंग स्पॉट के मामले को उसके ध्यान में लाया है.
बताया जाता है कि सरोना से लेकर भिलाई के बीच रायपुर नगर निगम द्वारा कूड़ा करकट फेंक दिया जाता है. बीते सात साल से यह क्रम चल रहा है. अब इस स्थान को डंपिंग स्पॉट के रूप में जाना जाने लगा है.
सरोना-भिलाई के बीच कचरा डलने से आने जाने वाले लोगों को भारी परेशानी होती है. इस,स्थान पर कचरे का पहाड़ खड़ा हो गया है इससे सरोनावासी व आमजन बेहद परेशान हैं.
हवा एवं आंधी तूफान चलने की स्थिति में सरोना में कचरे से उठी दुर्गंध फैल जाती है. थक हारकर सरोना के लोगों ने आंदोलन समिति गठित की. इसी समिति ने जनहित याचिका दायर कर रखी है.
सुनवाई में निगम के अधिकारियों ने हाईकोर्ट को गुमराह करने का प्रयास किया था. उन्होंने हाईकोर्ट में अपने जवाब में कहा था कि कचरा अब अन्यत्र डाला जा रहा है. इसके बाद याचिकाकर्ता ने शिकायत की थी कि निगम अफसर झूठ बोल रहे हैं.
दरअसल कचरा अब तक नहीं हटाया गया है. चीफ जस्टिस रामचंद्र मेनन, जस्टिस पीसी साहू की डिवीजन बैंच में मामले की सुनवाई मंगलवार को हुई थी. कोर्ट ने जानना चाहा था कि डंपिंग स्पॉट हटाया गया है कि नहीं.
निगम के अधिकारियों ने तत्काल हां में जवाब दिया. इस पर कोर्ट ने यह जानना चाहा कि किस स्थान पर कचरा डाला जा रहा है तो निगम के अधिकारियों को सांप सूंघ गया. उन्होंने अंतत: अब जवाब देने के लिए दो सप्ताह की मोहलत मांगी है.