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बिलासपुर.
वन अधिकार पट्टे के वितरण पर रोक एक माह तक जारी रहेगी. याचिकाकर्ता चाहें तो उच्चतम न्यायालय का रूख कर सकते हैं जहां इसी तरह की याचिका लंबित बताई गई है.
उल्लेखनीय है कि आज बिलासपुर उच्च न्यायालय में जंगल काटकर अपात्रों को बांटे जा रहे वन अधिकार पट्टों पर जांच सहित अपात्रों को बांटे गए पट्टों को निरस्त करने व बांटने पर रोक की मांग को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई की गई.
यह याचिका रायपुर निवासी नितिन सिंघवी द्वारा दायर की गई थी. सिंघवी सहित सेवानिवृत्त अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. अनूप भल्ला की हस्तक्षेप याचिका पर आज मुख्य न्यायाधीश पीआर रामचंद्रन मेनन व न्यायमूर्ति पीपी साहू की बैंच ने सुनवाई की.
दो माह के लिए लगाई थी रोक
ज्ञात हो कि इसी मामले में पूर्व में याचिका दायर की गई थी. जिस पर उच्च न्यायालय ने दो माह के लिए रोक लगा दी थी. अब यह रोक एक माह तक और बनी रहेगी.
वन अधिकार अधिनियम के प्रावधान अनुसार यदि कोई अनुसूचित जनजाति का व्यक्ति 13 दिसंबर 2005 के पूर्व दस एकड़ वन भूमि पर कब्जाधारी था तो उसे ही पट्टा प्राप्त करने की पात्रता रहेगी.
हालांकि इसके लिए उसे प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा. इसी तरह अन्य परंपरागत वन निवासियों को जो कि 13 दिसंबर 2005 के पूर्व वर्ष 1930 से वन क्षेत्रों में निवासरत हैं उन्हें ही पट्टा प्राप्त करने की पात्रता रहेगी.