मुकेश गुप्ता के संकट मोचक बने जीपी

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नेशन अलर्ट/97706-56789
रायपुर.

सरकार बनाम मुकेश गुप्ता का मामला सुर्खियों में बना हुआ है. इसमें एक नया पेंच देखने को मिल रहा है जिसमें ईओडब्लू के एडीजी जीपी सिंह की भूमिका सरकार के खिलाफ जाती दिखाई दे रही है.

निलंबित पुलिस अधिकारी मुकेश गुप्ता ने खुद को बचाने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है. यहां जो याचिका उन्होंने दाखिल की है उसमें मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, संयुक्त सचिव और जांच एजेंसी सीबीआई को प्रतिवादी बनाया है.

इसमें पेंच यह है कि, मुकेश गुप्ता के खिलाफ प्रदेश में चल रहे मामलों का मोर्चा ईओडब्लू विंग ने संभाल रखा है. गुप्ता से जुडे़ तकरीबन सभी मामलों की जांच ईओडब्लू के पास ही है. फिलहाल यह विभाग एडीजी जीपी सिंह संभाल रहे हैं.

मुकेश गुप्ता के खिलाफ शुरुआती कार्रवाई जीपी सिंह की अगुवाई में ही शुरु हुई. गुप्ता से पूछताछ और उनके खिलाफ सामने आए मामलों में साक्ष्य जुटाना और एफआईआर दर्ज करने का जिम्मा भी इन्हीं के पास था.

ऐसे में कैसे संभव है कि मुकेश गुप्ता ने अपने द्वारा दायर की गई याचिका में उस विभाग और उसके अधिकारी को प्रतिवादी नहीं बनाया जिसने उनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा है?

इससे पहले मुकेश गुप्ता की घनिष्ट सहायक बताई जाने वाली रेखा नायर के मामले में भी जीपी सिंह की भूमिका को समझना जरुरी है. नेशन अलर्ट ने पहले भी इस मुद्दे को सामने लाया था.

दरअसल, रेखा नायर ने भी जब कोर्ट की शरण ली थी तो भी उन्होंने जीपी सिंह को इससे दूर रखा था. जबकि उस वक्त भी जीपी सिंह को इस मामले में दूसरों की तरह प्रतिवादी बनाया जाना चाहिए था.

जीपी सिंह एक तरफ तो सरकार के नुमाईंदे रहते हुए निशाने पर बने हुए मुकेश गुप्ता के खिलाफ कार्रवाई के लिए जिम्मेदार हैं तो दूसरी ओर गुप्ता और रेखा नायर उन्हें और उनके विभाग को इसका जिम्मेदार मानते हुए भी उससे सवाल नहीं कर रहे हैं.

सवाल यही है कि आखिर क्यूं और कैसे? क्या जीपी सिंह पर्दे के पीछे गुप्ता के मददगार साबित हो रहे हैं?

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