रायपुर।
तो क्या बाबूलाल अग्रवाल का निलंबन स्वयंमेव समाप्त हो जाएगा? यह सवाल यहां इसलिए किया जा रहा है क्यूंकि उन्हें अब तक चार्जशीट नहीं दी गई है। विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि आगे भी उन्हें चार्जशीट देने की कोई तैयारी नहीं है। यदि ऐसा ही हुआ तो तीन माह के बाद अग्रवाल बहाल हो जाएंगे क्यूंकि तीन माह के भीतर चार्जशीट देना अनिवार्य है।
उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने घूस देने के आरोप में आईएएस बाबूलाल अग्रवाल को फरवरी माह में गिरफ्तार किया था। तब से बाबूलाल अग्रवाल अपने साले आनंद अग्रवाल व बिचौलिए भगवान सिंह, बुरहानुद्दीन के साथ दिल्ली की तिहाड़ जेल की शोभा बढ़ा रहे हैं। 22 फरवरी को हुई गिरफ्तारी के बाद इसकी सूचना राज्य सरकार को दी थी। सूचना मिलते ही सरकार ने बाबूलाल को निलंबित कर दिया।
० सुप्रीम कोर्ट का क्या है निर्देश?
प्रशासनिक सूत्र बताते हैं कि इस बारे में सुप्रीम कोर्ट का भी निर्देश है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल यह निर्देश दिया था कि तीन माह के भीतर यदि चार्जशीट नहीं दी जाती है तो निलंबन कायम नहीं रह पाएगा। मतलब साफ है कि तीन माह के बाद निलंबन खुद ब खुद समाप्त हो जाएगा।
नियमानुसार किसी अफसर के गिरफ्तार होने पर निलंबन अनिवार्य होता है। हालांकि जीएडी के अफसरों का कहना है कि निलंबन के साथ ही आरोप पत्र सौंपना जरूरी नहीं है। बाबूलाल पर राज्य सरकार की ओर से कोई आरोप नहीं लगाया गया है। मामला सीबीआई के पास है। ऐसे में उन्हें आरोप पत्र थमाने के लिए बिंदु तय करना मुश्किल है। सामान्य प्रशासन विभाग की सचिव निधि छिब्बर कहतीं हैं कि सीबीआई के पास प्रकरण है। यदि कोई प्रमाण आता है तो चार्जशीट दी जा सकती है लेकिन जब तक कोई मामला हमारे पास आएगा ही नहीं तो कैसे चार्जशीट दें।