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बिलासपुर .
सेवा सहकारी समितियों को भंग करने के मामले में राज्य सरकार को हाईकार्ट से झटका लगा है. कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत दी है.
इसके साथ ही अगली सुनवाई होने तक राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है. साथ ही साथ राज्य शासन को नोटिस जारी की है. मामले की अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को होगी.
सेवा सहकारी समिति भैंसमा के सदस्य लक्ष्मण उरांव, बरपाली समिति के मोहनलाल कंवर, जीवन लाल कंवर समेत अन्य समितियों के सदस्यों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी.
सुनवाई के बाद बुधवार को चीफ जस्टिस पीआर रामचंंद्र मेनन व जस्टिस पीपी साहू की डीबी ने फैसला सुरक्षित रखा था. याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने दलील रखी.
उनका कहना था कि पुनर्गठन के नाम पर निर्वाचित निकाय को नहीं हटाया जा सकता. राज्य सरकार के इस निर्णय के पीछे राजनीतिक कारण हैं.
राज्य शासन ने प्रदेशभर की सेवा सहकारी समितियों के पुनर्गठन के लिए अधिसूचना जारी कर 30 जुलाई 2019 तक दावा-आपत्ति आमंत्रित की.
दावा-आपत्ति का निराकरण किए बिना शासन ने 30 अगस्त 2019 को प्रदेश की 1035 सेवा सहकारी समितियों को भंग कर दिया था,
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत देते हुए फिलहाल नई समिति के गठन पर सुनवाई तक रोक लगाते हुए 3 अक्टूबर को अगली सुनवाई की तिथि निश्चित की है.