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रायपुर .
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में हुए नक्सल हमले में मारे गए भाजपा विधायक भीमा मंडावी की मौत किसी साजिश का नतीजा नहीं थी. बुधवार को सामने आई प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में यही बात कही गई है.
इस रिपोर्ट में पुलिस को फिल्हाल क्लीन चिट दे दी गई. विधायक की सुरक्षा में किसी प्रकार की लापरवाही की बात नहीं मानी गई. रिर्पोट में कई तरह की बातें सामने आईं हैं. हालांकि पूरे मामले में अंतरिम रिपोर्ट आना बाकि है, जांच जारी है.
न्यायिक जांच आयोग के चेयरमेन जस्टिस सतीश के अग्निहोत्री बुधवार को राजधानी पहुंचे. पंडरी स्थित उपभोक्ता फोरम में इस मामले की सुनवाई होनी थी.
यहां एक भी गवाह इस मामले में बयान देने नहीं पहुंचा.
जस्टिस सतीश के अग्निहोत्री ने बताया कि मामले में 11 लोगों की गवाही होनी थी लेकिन कुछ लोग दुर्घटना का शिकार हो गए. इस वजह से बयान देने नहीं पहुंच सके. उन्होंने कहा कि कुछ बिन्दुओं पर अब भी जांच होनी बाकी है. अब अगली सुनवाई 12 अक्टूबर को होगी.
उधर,भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव और पार्टी के चुनाव विधिक सेल प्रमुख नरेश गुप्ता ने इस न्यायिक जांच आयोग को भंग करने की मांग की है. उन्होंने आयोग के अध्यक्ष की शिकायत राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, राज्यपाल, और भारत निर्वाचन आयोग एवं मुख्यनिर्वाचन पदाधिकारी से करने की बात कही है.
भाजपा नेताओं का कहना है कि आयोग के अध्यक्ष ने इस तरह रिपोर्ट को सार्वजनिक करके 23 सितंबर को होने वाले दंतेवाड़ा उपचुनाव को प्रभावित करने की कोशिश की है.
ज्ञात हो कि 9 अप्रेल लोकसभा चुनाव के वक्त भाजपा से विधायक रहे भीमा एक गांव से लौट रहे थे, तभी रास्ते में नकुलनार इलाके में नक्सलियों ने इस घटना को अंजाम दिया. उनके काफिले पर फायरिंग की गई.
घटना के बाद डीजी एंटी नक्सल ऑपरेशन गिरधारी नायक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि स्थानीय थाना प्रभारी ने नक्सल मूवमेंट की जानकारी विधायक को देते हुए दूसरे रास्ते का इस्तेमाल करने कहा था. विधायक नहीं माने और उसी रास्ते का इस्तेमाल किया जहां खतरे का अंदेशा था. पूरे मामले में भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर साजिश का आरोप लगाया था.