नेशन अलर्ट/जनचर्चा
प्रदेश की मौजूदा सरकार छत्तीसगढिय़ों को किसी और मुद्दे की ओर झांकने का मौका ही नहीं दे रही है। असल में इसके पीछे भूपेश सरकार की छत्तीसगढिय़ा को दी जाने वाली प्राथमिकता है।
पिछले 18 सालों में प्रदेश की जनता ने बहुत कुछ देखा है। लेकिन, इस सरकार के निर्णयों में उन्हें अपनापन नज़र आ रहा है जो इससे पहले कभी न हुआ।
भूपेश सरकार ने प्रदेश के पारंपरिक पर्वों को पहली दफा लोगों के लिए खास बना दिया। इसकी शुरुआत हरेली तिहार से हुई।
यहां का आवाम इस त्यौहार को अपनी संस्कृति में पर्वों का आरंभ मानता है। खेती-किसानी और हरियाली से जुड़े इस पर्व को सरकार ने कई मायनों में खास बना दिया है।
इस दिन शासकीय अवकाश घोषित था। सरकार ने अधिकृत रुप से पूरे प्रदेश में यह पर्व मनाया और सरकार के बाशिंदो-नुमाईंदों ने इसमें शिरकत भी की। यह आयोजन काफी व्यापक रहा और आम लोगों में इसकी काफी चर्चा भी हुई।
भूपेश सरकार ने पोला जिसे छत्तीसगढ़ी में पोरा तिहार भी कहा जाता है, इसके लिए भी खासी तैयारियां की। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद इस मौके पर झूला झूलते नज़र आए।
इसके बाद महिलाओं के विशेष पर्व तीजा के लिए भी सरकार ने अवकाश घोषित किया। इस पर्व का यहां की महिलाओं के लिए बड़ा महत्व है। इन तीज त्यौहारों के अलावा भी सरकार ने छत्तीसगढिय़ों को अपनापन महसूस कराने के लिए काफी कुछ किया है।
भूपेश सरकार ने सत्ता में आते ही ग्रामीण परिवेश, कृषि और ग्रामीण स्तर पर चलाई जा सकने वाली योजनाओं पर काम किया।
नतीजतन सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘नरवा, गरवा, घुरवा अऊ बाड़ी’ सामने आई। प्रदेश के गांव-गांव में यह सभी एक बड़ी महत्वपूर्ण सिलसिलेवार चलनी वाली गतिविधियां हैं।
सरकार ने इसे छत्तीसगढिय़ों से जोड़ते हुए इनसे होने वाले फायदों को सामने रखकर ग्रामीणों को खुद से जोड़ लिया। इस योजना के तहत अब वो सारे काम हो रहे हैं जिन्हें बहुत पहले ही बढ़ावा मिलना चाहिए था। ग्रामीण इसे लेकर खुश हैं।
इसके अलावा सरकार ने अपनी योजनाओं, कार्यशैली में छत्तीसगढ़ी तौर तरीकों को शामिल किया है। सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र को प्राथमिकता दी है। सरकार के नुमाईंदे ने अब ग्रामीण स्तर पर योजनाएं तैयार करने और उस पर काम करने की आदत डाल ली है।
किसी भी क्रिया की प्रतिक्रिया होती है। यहां जो प्रतिक्रिया हो रही है वह भी छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार की रीति-नीति को बढ़ावा देती प्रतीत हो रही है।
अब देखिए न, जनचर्चा बताती है कि प्रदेश में पंद्रह साल राज करने वाली भाजपा ने अथवा उसके मुखिया ने सिर्फ बधाई संदेश देने के अलावा कभी कोई काम नहीं किया रहा होगा।
लेकिन… अब यहां बड़े-बड़े अखबारों में विज्ञापन छपवाए जा रहे हैं। तीज पर्व की बधाई दी जा रही है। पुरानी सरकार के पुराने मुखिया के नाम से छपे विज्ञापन कहीं न कहीं भूपेश सरकार की छत्तीसगढिय़ा नीति को जीतता दर्शा रहे हैं।
यक्ष प्रश्र :
कौन कांग्रेसी ईश्वर से प्रार्थना कर रहा है कि कांग्रेस दंतेवाड़ा विधानसभा उपचुनाव हार जाए?