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जोधपुर.
वायुसेना को पक्षियों से जबरदस्त नुकसान पहुंचा है. जितने बजट में एक मिग 27 नाम का फाइटर प्लेन आ जाता उतनी राशि का नुकसान पक्षी लगा चुके हैं.
उल्लेखनीय है कि पिछले सात माह में अकेले जोधपुर स्टेशन पर नौ लड़ाकू विमानों से पक्षियों की टकराहट हुई है. इसमें वायुसेना को तकरीबन ढाई सौ करोड़ रूपये का नुकसान हुआ है.
इतनी राशि में नया मिग 27 खरीदा जा सकता था. दुर्घटनाग्रस्त नौ फाइटर प्लेन में से कुछ के (सुखोई 30-मिग 27) इंजन बदलने पड़ गए हैं. कुछ एक इंजन में नई ब्लेड्स लगानी पड़ी है.
सुखोई का इंजन खराब हो तो 50 करोड़ का झटका
उल्लेखनीय है कि यदि सुखोई का पूरा इंजन खराब हो जाएगा तो 45 से 50 करोड़ रूपए का झटका लगता है. इंजन की ब्लेड्स ही 8 करोड़ रूपए की आती है.
यही हाल मिग 27 के इंजन का है. जिसकी कीमत 9 करोड़ रूपए आंकी गई है. बॉडी पर डैमेज व शीशे पर लगे स्क्रेच को ठीक करने के लिए भारी मात्रा में पैसा लगता है.
कई मर्तबा तो पूरी की पूरी कॉकपिट बदलनी पड़ती है. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के जिम्मे भारतीय वायुसेना के विमानों के रखरखाव व सुधार की जिम्मेदारी है.
एचएएल के पास यदि कोई दुर्घटनाग्रस्त विमान जांच के लिए भेजा जाता है तो प्राथमिक जांच में ही एचएएल एक करोड़ रूपए वसूलती है. परेशानी इस बात की है कि यदि कोई विमान दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है तो उसे दुरूस्त करने में 6 से 8 माह लगते हैं.