राजनांदगांव।
नक्सल शहीद सप्ताह के आखिरी दिन खुफिया तंत्र के सहारे पुलिस ने बड़ी सफलता हासिल की है। शनिवार सुबह बाघनदी के पास महाराष्ट्र सीमा के समीप संयुक्त सुरक्षा बल ने मुठभेड़ में 7 नक्सली मार गिराए हैं। शिनाख्त के बाद पता चला कि सभी मारे गए नक्सलियों पर कुल जमा 32 लाख रुपए का ईनाम घोषित था। इनकी शिनाख्त करने वाले आत्मसर्पित नक्सली ने सभी माओवादियों को दर्रेकसा एरिया कमेटी का बताया है। मारे गए नक्सलियों में इसमें दो पुरुष और चार महिला शामिल हैं। पुलिस ने दावा किया है कि इस ऑपरेशन के साथ ही नक्सलियों की दर्रेकसा एरिया कमेटी का खात्मा हो गया है।
घटना की जानकारी देते हुए बताया गया कि बोरतलाब-बागनदी के पास सीतागोटा के समीप एमएमसी जोन का इलाका है। एक्सचेंज ऑफ फायर लगभग 2 घण्टे 30 मिनट तक चला है। पुलिस ने जानकारी दी कि उसके बाद अब पूरे इलाके में सर्चिंग जारी है। वहीं इस कार्रवाई के दौरान तीन जवान घायल हुए हैं। यह इलाका नक्सलियों के नए गठित राजनांदगांव के एमएमसी जोन (महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़) में आता है। इस इलाके में लगातार पुलिस के ऑपरेशन चल रहे थे।
सुबह तकरीबन 8 बजे गातापार थाना प्रभारी लक्ष्मण केंवट के नेतृत्व में चल रही सर्चिंग पार्टी का सीतागोटा-शेरापार के बीच जंगल में नक्सलियों से आमना सामना हुआ। मौके पर नक्सलियो ने बड़े टेंट तान रखे थे। इसके कुछ ही देर में मुठभेड़ शुरु हो गई। जिनमें सात नक्सली मारे गए। वहीं अन्य माओवादी भागने में कामयाब रहे। मुठभेड़ के बाद से यहां सर्चिंग जारी है।
पुलिस का दावा है कि मौके पर लगभग 50 नक्सली मौजूद थे जिनमें कुछ बड़े कमांडर में मौजूद होंगे। लेकिन पुलिस-नक्सली मुठभेड़ के दौरान वे भागने में कामयाब रहे। दावा यह भी है कि नक्सली शहीद सप्ताह के मद्देनजर ही इतनी बड़ी तादाद में नक्सली यहां मौजूद थे। इनका इरादा शहीद सप्ताह के दौरान किसी बड़ी घटना को अंजाम देना था लेकिन लगातार चल रहे सुरक्षा बल के ऑपरेशन ने उनके मंसूबे कामयाब नहीं होने दिए।
मुठभेड़ की जानकारी मिलने के बाद ही वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौके के लिए रवाना हो गए थे। आईजी हिमांशु गुप्ता, डीआईजी रतनलाल डांगी, एएसपी नक्सल ऑपरेशन जीएन बघेल मौके पर पहुंचे थे।
चार टीमों ने मिलकर पूरा किया ऑपरेशन
पुलिस महानिरीक्षक हिमांशु गुप्ता ने बताया कि खुफिया तंत्र से जानकारी मिलने के साथ ही ऑपरेशन की तैयारी शुरु की गई थी। हमने सीमावर्ती क्षेत्र के नवागांव, दीवानटोला, कोठीटोला, शेरपार, सीतागोटा, मांगीखुटा, भालूकोना में ऑपरेशन शुरु करने की योजना बनाई।
इस ऑपरेशन में पुलिस बल, डीआरजी व सीएएफ के जवान शामिल थे। इनमें से एक पार्टी निरीक्षक संग्राम सिंह के नेतृत्व में आगे बढ़ी जिसमें 26 जवान शामिल थे। वहीं 20 जवानों की दूसरी पार्टी का नेतृत्व उप निरीक्षक धरम सिंह तुलावी कर रहे थे। डीआरजी के 23 जवानों की तीसरी पार्टी उप निरीक्षक योगेश राठौर के नेतृत्व में मोर्चा संभालने निकली। गातापार थाना प्रभारी लक्ष्मण केंवट के साथ जिला बल व सीएएफ के 26 जवानों की पार्टी बोरतलाव की ओर से मोर्चा लेने निकली।
पुलिस को देखते ही शुरु हुई फायरिंग
बोरतलाव की ओर से आगे बढ़ गातापार थाना प्रभारी लक्ष्मण केंवट और उनके साथ जिला बल व सीएएफ के 26 जवान जब
सीतागोटा-शेरपार के जंगल पहुंचे तो वहां उन्हें नक्सलियों के तीन टेंट नजर आए। इसी दौरान नक्सलियों ने पुलिस बल को देख लिया और फायरिंग शुरु कर दी। पुलिस पार्टी ने भी इसका मुंहतोड़ जवाब दिया। इसी दौरान पुलिस बल की कार्रवाई के सामने खुद को बेबस देखकर नक्सलियों ने मोर्चा छोड़ दिया। वे मौके से भाग खड़े हुए। सर्चिंग के दौरान पुलिस बल ने मौके से 5 महिला और दो पुरुष नक्सलियों के शव बरामद किए हैं।
दावा, दर्रेकसा एरिया कमेटी अब खत्म
मारे गए नक्सलियों की शिनाख्त आत्मसमर्पित नक्सली पहाड़ सिंह ने की। उससे मिली जानकारी के आधार पर पुलिस ने बताया कि मारे गए नक्सलियों में 8 लाख का ईनामी सुखदेव उर्फ लक्ष्मण और उसकी पत्नी
परमिला जिस पर 5 लाख का ईनाम घोषित है मारे गए हैं। इनके साथ ही 5 लाख के ईनामी नक्सली सीमा, मीना, रितेश भी मारे गए हैं। यह सभी दर्रेकसा एरिया कमेटी सदस्य हैं। वहीं प्लाटून नंबर 01 के सदस्य ललिता और शिल्पा भी इस ऑपरेशन में मारे गए हैं। इन पर भी दो-दो लाख रुपए के ईनाम घोषित हैं। अपने इस ऑपरेशन में पुलिस ने दर्रेकसा एरिया कमेटी के पांच सदस्यों का खात्मा किया है। इस आधार पर ही पुलिस का दावा है कि अब इस कमेटी का लगभग खात्मा हो गया है।
दक्षिण से निकलकर उत्तर का रुख
जिले का दक्षिणी क्षेत्र मोहला-मानपुर घोर नक्सल प्रभावित रहा है। लेकिन माओवादी अब इस इलाके से निकलकर जिले के उत्तरी क्षेत्र में अपनी पैठ बनाने में जुटे हुए हैं। महाराष्ट्र की सीमा पर शनिवार की सुबह तकरीबन 50 नक्सली मौजूद थे। ये इस तथ्य को पुख्ता करता है कि नक्सली अब नई रणनीति को लेकर गंभीर हैं। दूसरी ओर इस इलाके में पुलिस का खुफिया तंत्र मजबूत साबित हुआ है। इसी के बूते यहां लगातार सुरक्षाबल नक्सलियों को निशाना बना रहे हैं। हालांकि इससे पहले यहां भी हालात दूसरे थे।
बेहतर रणनीति से मिली सफलता
बोरतलाब-बागनदी के पास सीतागोटा के पास जिस जंगल में सुरक्षाबल का माओवादियों से आमना-सामना हुआ वहां कि भौगोलिक परिस्थितियां प्रतिकूल थीं। नक्सलियों को भी अंदाजा नहीं रहा होगा कि जवान यहां तक पहुंचकर हमला करेंगे। लगातार बारिश के चलते भी कई मुश्किलें थीं लेकिन जवानों ने खुद को साबित किया। दोनों ओर से होने वाली गोली-बारी में बारिश एक बड़ा खतरा साबित हो सकती थी लेकिन सुरक्षाबलों की रणनीति बेहतर रही।
योजनाओं से तंत्र को मिल रही मजबूती
नक्सलियों ने अपने केडर के शहीदों के नाम पर 28 जुलाई से 03 अगस्त तक शहीदा सप्ताह घोषित किया था। इस दौरान बस्तर में मिले परचों ने जिस डर का उल्लेख किया था वह राजनांदगांव में सही साबित हुआ। जुलाई के पहले पखवाड़े में नक्सलियों के कुछ परचे बरामद हुए थे उसमें नक्सलियों ने पुलिस की रणनीति को माओवादियों के लिए खतरनाक बताया था। दरअसल, नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटाने के लिए जो नीतियां चलाई जा रही है उससे माओवादी खौफज़दा हैं। इससे खुफिया तंत्र भी मजबूत हुआ है जिसके चलते नक्सलियों के मंसूबे नाकाम हो रहे हैं।
बहरहाल, नक्सल शहीद सप्ताह के शुरु होने से एक दिन पहले सुकमा पुलिस ने सात माओ वा दियों को मार गिराया था। इसी शहीद सप्ताह के आखिरी दिन राजनांदगांव पुलिस ने सात नक्सलियों को मार गिराया है।