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रांची.
झारखंड के परिवहन विभाग ने लोडर, पोकलेन, क्रेन जैसी मशीनों के रोड टैक्स को लेकर जो नीति अपनाई है उससे वाहन मालिक परेशान हो गए हैं. वह एक मुश्त बारह साल के रोड टैक्स की खिलाफत करने लगे हैं.
झारखंड के वाहन मालिक बताते हैं कि अन्य राज्यों जैसे कि पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार में यह रोड टैक्स तिमाही लिया जाता है.
इसके बावजूद झारखंड में एक मुश्त बारह साल के रोड टैक्स मांगे जाने से इन मशीनों की बिक्री सहित राजस्व में भी क्षति उठानी पड़ रही है.
वाहन मालिकों के मुताबिक यदि त्रैमासिक शुल्क 3 हजार 641 रूपए के हिसाब से बारह साल के शुल्क का आंकलन किया जाए तो यह राशि 1 लाख 74 हजार 768 रूपए होती है.
जबकि झारखंड का परिवहन विभाग बारह साल के एक मुश्त रोड टैक्स के एवज में 4 लाख 80 हजार रूपए मांग रहा है. एक तो समय घटा दिया गया है ऊपर से राशि पर भी मार पड़ी है.
जेसीबी के डीलर बताते हैं कि पहले प्रत्येक माह 70 से 80 मशीनें बिक जाया करती थी. अब जबकि रोड टैक्स का विवाद उठा है तो 20 से 25 मशीनें ही बेच पा रहे हैं.
विचार किया जा रहा है
इस पर राज्य के परिवहन मंत्री सीपी जोशी कहते हैं कि विचार किया जा रहा है. वाहन मालिकों का कहना है कि सरकार टैक्स को दुगुने से भी ज्यादा कर रही है. वहीं झारखंड चैंबर की हैवी अर्थमूविंग मशीनरी सब कमेटी के चेयरमेन विनोद नेमानी कहते हैं कि कोई रास्ता नहीं निकल पाया है.
नेमानी के अनुसार इस विषय पर परिवहन आयुक्त से लेकर परिवहन सचिव, परिवहन मंत्री हर किसी से बात की जा चुकी है. वह बताते हैं कि बिहार में लोडर का तिमाही रोड टैक्स 1705 रूपए है.
इसी तरह क्रेन का तिमाही रोड टैक्स 2273 रूपए है. उड़ीसा में जेसीबी लोडिंग शॉवेल का तिमाही रोड टैक्स 1795, लोडर का 1240 रूपए है.
जबकि झारखंड में लोडर का तिमाही रोड टैक्स 3641 रूपए होता था जिसे एक मुश्त बारह साल करते हुए 4 लाख 80 हजार रूपए कर दिया गया है.