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गिरिडीह.
महज 14 साल की उम्र में बाल विवाह और बाल मजदूरी के खिलाफ आवाज उठाने वाली चंपा कुमारी ब्रिटेन में सम्मानित होंगी. उन्हें राजकुमारी डायना की याद में दिया जाने वाला पुरस्कार दिया जाएगा.
उल्लेखनीय है कि चंपा स्वयं बाल मजदूर रह चुकीं हैं. तब वह ढिबरा खदान में कार्य करती थी. बाद में वह कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन के साथ मिलकर बाल विवाह और मजदूरी के खिलाफ अभियान में जूट गई.
दरअसल चंपा बेहद गरीब परिवार से आती हैं. गरीबी के चलते उन्हें बाल मजदूरी भी करनी पड़ी थी. चंपा की मां बताती है कि वह पढऩा चाहती थी लेकिन पैसे के अभाव में अपनी बिटिया को पढ़ा नहीं पाए.
मां के साथ चंपा अब बेहद प्रसन्न है. ब्रिटेन में अवॉर्ड मिलने को लेकर चंपा अन्य बच्चों की ही तरह न केवल उत्साहित हैं बल्कि अपनी खुशी छिपाए नहीं छिपा पा रही है. चंपा ने अपने दम पर अपनी पहचान बनाई है.