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रायपुर.
छत्तीसगढ़ सहित मध्यप्रदेश-राजस्थान की कांग्रेसी सरकार को लेकर संशय जताया जाने लगा है. कर्नाटक के बाद अब इन राज्यों में भाजपा के अगले कदम पर निगाह रखी जा रही है.
कर्नाटक में अंतत: कांग्रेस-जेडीएस की सरकार विश्वासमत के दौरान बहुमत साबित नहीं कर पाई. भाजपा ने बीएस येदुरप्पा के नेतृत्व में सरकार बना ली है. अब ऐसा ही क्रम कांग्रेस शासित अन्य राज्यों में होने की आशंका है.
बघेल ने क्यों कहा ऐसा छग में नहीं होगा?
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राज्य में कांग्रेस की सरकार को लेकर बेहद आशावादी हैं. उन्होंने एनडीटीवी इंडिया से बातचीत करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में ऐसा हो पाने की गुंजाइश नहीं है.
मुख्यमंत्री बघेल ने भाजपा पर हमला भी बोला है. वह कहते हैं कि भले ही भाजपा ने कर्नाटक में चुनी गई सरकार को सत्ता और पैसे के प्रभाव से गिरा दिया हो लेकिन वह छत्तीसगढ़ सहित मध्यप्रदेश-राजस्थान में ऐसा नहीं कर पाएगी.
लोकतंत्र में चुनी हुई सरकार को सत्ता और पैसे के प्रभाव से गिराए जाने पर भूपेश बघेल चिंतित हैं. मुख्यमंत्री बघेल कहते हैं कि यह लोकतंत्र के लिए घातक होगा. भाजपा अनेक प्रदेशों में ऐसा कर रही है जो ठीक नहीं है.
टीवी चैनल से बातचीत में मुख्यमंत्री बघेल फरमाते हैं कि ” आप चाहते हैं कि आपके अलावा कोई न रहे तो यह तानाशाही प्रवृत्ति है. छत्तीसगढ़ में ऐसा नहीं हो पाएगा. मध्यप्रदेश, राजस्थान में भी कर्नाटक नहीं दोहराया जा सकता है “.
पार्टी की हलचलें उबाल पर
उधर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार रात को अपने सरकारी आवास 8 सिविल लाइंस पर एक भोज का आयोजन किया है. इस भोज को लेकर भी राजनीतिक हल्कों में कई तरह की चर्चाएं की जाने लगी है.
इस भोज में मंत्रियों के साथ ही सीएम गहलोत ने भाजपा सहित सभी दलों व निर्दलीय विधायकों को भी आमंत्रित कर रखा है. ब्यूरोक्रेट्स भी आमंत्रित किए गए हैं. भोज को परंपरा से जोड़कर देखा जा रहा है लेकिन कहीं न कहीं सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं. दरअसल पार्टी के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है.
कांग्रेस की अंदरूनी हलचलों में बहुत सा उबाल देखा जा रहा है. कर्नाटक और फिर गोवा के बाद जो संकेत मिल रहे हैं वह सरकार पर कांग्रेस की पकड़ कमजोर होने की ओर इशारा कर रहे हैं.
बताया तो यह तक जाता है कि भाजपा की नजर राजस्थान, मध्यप्रदेश के अलावा अब छत्तीसगढ़ पर टिक गई है. इन्हीं सबके बीच राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत डिनर पॉलिटिक्स करने को मजबूर हुए हैं.
बहरहाल इसी तरह का डिनर पहले राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट दे चुके हैं. मध्यप्रदेश में वहां के मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, मंत्री तुलसी सिलावट के यहां आयोजित हुए डिनर में एक जुट हो चुके हैं.
… तो क्या कांग्रेस डिनर पॉलिटिक्स की राजनीति करने लगी है?