रायपुर।
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष व भाजपा के वरिष्ठ नेता नंदकुमार साय ने एक बार फिर अपने ही संगठन पर हमला बोला है। राज्य में आदिवासी सीएम की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि कायदे से जिसकी आबादी ज्यादा, सरकार प्रमुख उसी का होना चाहिए। यहां तो राजनीतिक दलों का संविधान दिखाता कुछ है, लेकिन सब-कुछ हाईकमान तय करता है। निचले स्तर पर न कोई फोरम है और न चर्चा होती है।
साय ने कटाक्ष किया- आदिवासियों के दम पर बहुमत मिलता है, लेकिन प्रमुख चुनने की बारी आने पर कह दिया जाता है कि योग्य नहीं हैं… कोई विकल्प नहीं है। वे यहीं नहीं रुके, रौ में कह दिया कि यहां जो बने हुए हैं, वे कभी विकल्प ही नहीं थे। यहां अलग सोचने वाले को ही कठघरे में खड़ा कर दिया जाता है।
रायपुर प्रेस क्लब के रूबरू में रविवार को साय ने पोलावरम में 3-4 राज्यों के लोग प्रभावित हो रहे हैं। बड़े हिस्से को डुबाकर दूसरे क्षेत्र के लिए काम उचित नहीं है। प्रभावितों के लिए खाली पैकेज से काम नहीं चलेगा। वहां जायजा लेने टीम भेजूंगा। देश में आदिवासियों की स्थिति ठीक नहीं है। राज्यों से कहा है कि आदिवासियों को क्या कष्ट हैं, जानकारी भेजें। शराबबंदी पर बोले- बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है तो सरकार कारण तलाशे। आम लोगों संग बैठकर बीच का रास्ता निकाले। लोकतंत्र में विरोध सुनना और समझना सरकार का दायित्व है।
पिस रहे आदिवासी
दुनिया के 10 सबसे अशांत क्षेत्रों में बस्तर भी है। आदिवासी पुलिस-नक्सलियों के बीच फंसे हुए हैं। पुलिस और वन विभाग की करतूत से नक्सली ताकतवर हो जाते हैं। सरगुजा और बलरामपुर की तर्ज पर समस्या का समाधान हो।