नेशन अलर्ट.
97706-56789
भोपाल.
इंदौर तक प्रस्तावित 146.88 किमी लंबा एक्सप्रेस वे 15 हजार पेड़ों की बलि लेकर बनाया जाएगा. इतनी बड़ी तादाद में वृक्षों के काटे जाने से पर्यावरण पर क्या कुछ असर पड़ेगा यह समझा जा सकता है.
बताया जाता है कि यह एक्सप्रेस वे 4 हजार 300 करोड़ रूपए की लागत से बनेगा. भोपाल की सीमा में 20.8 किमी लंबा सिक्स लेन बनेगा.
इसी तरह सिहोर की सीमा में 84.8 किमी लंबा निर्माण होगा. रायसेन जिले की सीमा में 10.5 किमी लंबा सिक्सलेन एक्सप्रेस वे के माध्यम से तैयार किया जाएगा.
मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जिला प्रशासन की मौजूदगी में काटे जाने वाले पेड़ों से संभावित नुकसान को लेकर होने वाली आपत्तियों को सुनेगा. बाद में आपत्ति केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेज दी जाएगी.
पहले भी हो चुकी है कटाई
ऐसा नहीं है कि पहली मर्तबा पेड़ काटकर किसी विकास के प्रोजेक्ट को पूरा किया जाएगा. दरअसल पहले भी इस तरह की कटाई की जा चुकी है.
तब बरखेड़ा से बुधनी के बीच तीसरी रेल्वे लाइन के लिए करीब 20 हजार पेड़ काटे गए. इसी तरह हबीबगंज रेल्वे स्टेशन के विकास के लिए सैकड़ों पेड़ कुर्बान कर दिए गए.
अब इनकी एजेंसियों ने कहां कितने पेड़ लगाए यह कोई नहीं जानता. एक्सप्रेस वे की नोडल एजेंसी एमपीआरडीसी है. इस एजेंसी ने 22 हजार पौधे चिन्हांकित किए थे.
एजेंसी ने जो रपट दी है उसके मुताबिक 15 हजार पौधे ऐसे हैं जो निर्माण के आड़े आ रहे हैं. इन्हें हर हाल में काटना पड़ेगा. बाकी पेडों को सड़क किनारे बताया गया है.
सिक्सलेन से होने वाले संभावित नुकसान को लेकर भोपाल में 3 सितंबर को सुनवाई रखी गई है. हुजूर तहसील की बड़झीरी वन समिति के सभाकक्ष में यह सुनवाई होगी.
इसी तरह की सुनवाई सिहोर जिले में 26 अगस्त को रखी गई है. यह इच्छावर नगर पंचायत सभाकक्ष में होगी. रायसेन जिले में 29 अगस्त को इसी तरह की सुनवाई रखी गई है. यह मंडीदीप नगर पालिका सभाकक्ष में होगी.
सिक्सलेन को लेकर पहले चरण में जो सुनवाई हो रही है वह पर्यावरण के नुकसान को लेकर हो रही है. सुनवाई में संभावित नुकसान के मामलों पर लोग आपत्ति दर्ज करा सकते हैं.
इधर नियंत्रण बोर्ड के जोनल अफसर एए मिश्रा कहते हैं कि काटे गए पेड़ों की भरपाई नोडल एजेंसी का काम है. नियमों के मुताबिक अन्य जगह पौधरोपण करना होता है. नोडल एजेंसी से एक मुश्त पैसा जमा करा लिया जाएगा.