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भुवनेश्वर.
सरकारी अधिकारियों के लिए एक बड़ी बुरी खबर है. उन्हें हर हाल में 31 जुलाई तक संपत्ति का ब्यौरा देना होगा. यदि उन्होंने ऐसा नहीं किया तो संपत्ति जब्त कर ली जाएगी.
ऐसा आदेश किसी सरकार का नहीं बल्कि उड़ीसा के लोकायुक्त का है. राज्य के लोकायुक्त जस्टिस अजित सिंह ने भ्रष्टाचार के मामले मेें कड़ा रूख अख्तियार कर लिया है.
हर जिले में होगा लोकायुक्त शिविर
लोकायुक्त सिंह बताते हैं कि 31 जुलाई तक संपत्ति का ब्यौरा अधिकारियों को हर साल देना होता है. कई अधिकारी इसमें कलाकारी करते हैं.
बताया जाता है कि अब ऐसा नहीं हो पाएगा. हर हाल में 31 जुलाई तक ब्यौरा मिल जाना चाहिए. जिस भी अधिकारी का संपत्ति का ब्यौरा प्रस्तुत नहीं हो पाएगा उस अधिकारी की संपत्ति जब्त की जा सकती है.
लोकायुक्त ने स्पष्ट किया है कि अधिकारियों से लेकर नेताओं और मुख्यमंत्री तक जनता द्वारा की गई शिकायत पर जांच कराई जाएगी. आम लोग लोकायुक्त तक पहुंचकर शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
इसके लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है. प्रत्येक जिले में शिविर लगाकर लोगों को जागरूक किया जाएगा. कार्यभार संभालने के बाद से सिंह इस मामले में गंभीरता बरतते आ रहे हैं.
कौन है अजीत सिंह
अजीत सिंह का जन्म छह सितंबर 1956 को हुआ. उन्होंने वर्ष 1979 में जबलपुर स्थित मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय से वकालत की शुरुआत की.
वह एक मार्च 2002 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश और 21 मार्च 2003 को स्थाई न्यायधीश नियुक्त किए गए . सिंह राजस्थान उच्च न्यायालय के भी न्यायधीश रहे.
वहां से पांच मार्च 2016 को इनका स्थानांतरण कर उन्हें गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया. वह पांच सिंतबर 2018 को सेवानिवृत हुए थे.
गौरतलब है कि ओडिशा के मुख्य सचिव एपी पाधि ने उच्च न्यायालय में दायर किये गये हलफनामे में कहा था कि 31 मार्च तक लोकायुक्त की नियुक्ति हो जाएगी. आठ मार्च तक वह काम करना शुरू कर देंगे.
ओडिशा 14 फरवरी 2014 को इस संबंध में विधेयक पारित करने वाला देश का पहला राज्य बना था. तबसे वहां लोकायुक्त की नियुक्ति का मामला लंबित था जिसे पूरा होने में पांच वर्ष से अधिक का समय लग गया.