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छतरपुर.
ये किसान नहीं पागल है… इसे अस्पताल भेज दो. ये कहना था कलेक्टर मोहित बुंदस का. उन्होंने न तो फरियाद सुनी और न ही किसी तरह का आश्वासन दिया. बस जिलाधीश के मातहतों ने किसान को अस्पताल पहुंचा दिया.
मामला जन सुनवाई के दौरान दो दिन पूर्व का है. एक किसान दबंगों की शिकायत लेकर कार्यवाही की आस के साथ जन सुनवाई में शामिल होने पहुंचा था. उसे क्या मालूम था कि उसे ही अस्पताल पहुंचा दिया जाएगा.
मेरे पति स्वस्थ हैं
मामले में अब टूट गांव निवासी के किसान शंकर पटेल की पत्नी कह रही है कि उनके पति स्वस्थ हैं. उनके अनुसार हमारी जमीन पर कुछ दबंगों ने कब्जा कर रखा है.
वे बताती हैं कि कई मर्तबा अधिकारियों से इस मामले में शिकायत कर चुके हैं. लेकिन अधिकारी कार्यवाही करने को तैयार नहीं है. इस पर उनके पति ने आत्मदाह की इजाजत मांगी थी.
उधर शंकर बताते हैं कि इसी मामले को लेकर शिकायत करने वे जन सुनवाई में पहुंचे थे. इस दौरान जो कुछ हुआ वह बेहद अजीबो गरीब था. शंकर के अनुसार परिवार सहित आत्मदाह की इजाजत मांगनें उन्होंने आवेदन कलेक्टर को सौंपा था.
आवेदन देखते ही कलेक्टर अपना आपा खो बैठे. उन्होंने शंकर पटेल को पागल करार दिया. अस्पताल भेजने की बात उनके द्वारा कही गई. कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम एवं पुलिस शंकर को उठाकर अस्पताल पहुंच भी गए.,
जिला अस्पताल में मेडिकल बोर्ड की एक टीम ने शंकर पटेल का मेडिकल परीक्षण किया, जिसमें वह पूरी तरह स्वस्थ पाया गया लेकिन फिर भी निर्देश कलेक्टर का था इसलिए किसान को मनोवैज्ञानिक की सलाह लेने के लिए जबरन ग्वालियर भेजा जा रहा है.