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भुवनेश्वर.
उड़ीसा देश का संभवत: इकलौता ऐसा राज्य होगा जहां कम दर्ज संख्या होने के चलते 966 शालाएं बंद की जा रही है. इसका असर प्राथमिक शिक्षा पर पडऩे की आशंका जताई जाने लगी है.
सूबे की इन 966 शालाओं में दर्ज संख्या कम बताई गई है. अधिकारिक जानकारी बताती है कि सभी में 10 से भी कम विद्यार्थी अध्ययन कर रहे थे.
समायोजित की जाएंगी
राज्य के स्कूल व जनशिक्षा मंत्री समीर रंजन दास बताते हैं कि इन शालाओं को एक किमी के भीतर स्थित किसी अन्य शाला में समायोजित किया जाएगा.
इसके अलावा दास कहते हैं कि बंद शालाओं के विद्यार्थियों को राज्य सरकार परिवहन लागत प्रदान करेगी. उनके मुताबिक एक किमी से अधिक दूरी होने पर विद्यार्थियों को परिवहन भत्ता दिया जाएगा.
राज्य सरकार का निर्णय है कि प्रभावित होने वाले विद्यार्थी के माता पिता को एक मुश्त दस महीने के लिए एक मर्तबा राशि दी जाएगी.
बताया गया है कि किसी भी विद्यार्थी की उपस्थिति यदि 50 से 75 फीसदी है तो उसे साल के 4000 रूपए व माह के 400 रूपए मिलेंगे.
इसी तरह 75 फीसदी से अधिक उपस्थिति वाले को साल में 6000 रूपए दिए जाएंगे. दस महीने के लिए प्रत्येक माह 600 रूपए के हिसाब से यह राशि दी जाएगी.
30 से 50 फीसदी उपस्थिति वाले विद्यार्थी को 300 रूपए प्रतिमाह की दर से 3000 रूपए उपलब्ध करवाए जाएंगे. लेकिन विद्यार्थियों के लिए यह जानना जरूरी है कि यदि उनकी उपस्थिति 30 प्रतिशत से कम है तो उसे किसी तरह का परिवहन भत्ता नहीं दिया जाएगा.